अमृतसर में सहकार भारती के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इफको नैनो यूरिया और डीएपी की प्रशंसा करते हुए इसे किसानों के लिए अत्यधिक फायदेमंद बताया। उन्होंने इस संबंध में अपना निजी अनुभव भी साझा किया।
उन्होंने कहा, “इस सीजन में, मैंने अपने खेत में गन्ने की खेती के लिए नैनो यूरिया और डीएपी का उपयोग किया। ड्रोन के माध्यम से मैंने 4,000 एकड़ गन्ने पर नैनो यूरिया का छिड़काव किया। पहले, प्रति एकड़ चार बोरी पारंपरिक यूरिया और डीएपी लगता था। लेकिन इस बार केवल दो बोतल नैनो यूरिया और डीएपी से ही काम हो गया।”
उन्होंने लागत का विवरण देते हुए बताया, “एक इफको नैनो यूरिया की बोतल की कीमत 250 रुपये है। प्रति एकड़ दो बोतल का खर्च 500 रुपये आया और डीएपी की दो बोतल का खर्च 1,000 रुपये हुआ। इस तरह, कुल मिलाकर 1,500 रुपये में एक एकड़ की जमीन पर छिड़काव किया गया, जिससे प्रति एकड़ 88 टन गन्ने की पैदावार हुई।”
गडकरी ने पारंपरिक यूरिया के नुकसान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, “चार बोरी यूरिया और डीएपी का इस्तेमाल करने पर 75% पोषक तत्व बर्बाद हो जाते हैं और केवल 25% ही फसल तक पहुंचते हैं। वहीं, ड्रोन से नैनो यूरिया का छिड़काव करने पर 75% पोषक तत्व सीधे फसल तक पहुंचते हैं और केवल 25% बर्बाद होते हैं।”
केंद्रीय मंत्री ने सहकार भारती से इस नई तकनीक को बढ़ावा देने का आग्रह किया। उन्होंने सुझाव दिया, “ड्रोन की कीमत लगभग 3 लाख रुपये है। अगर 15-20 किसानों का समूह मिलकर इसे खरीद ले या इलेक्ट्रिक और सीएनजी ट्रैक्टर का उपयोग करे, तो खेती की लागत काफी कम हो सकती है और मुनाफा बढ़ाया जा सकता है।”
उन्होंने यह भी कहा, “प्रति एकड़ उत्पादन बढ़ना चाहिए और उत्पादन लागत घटना चाहिए। हरियाणा और पंजाब में पारंपरिक यूरिया के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी कठोर और बंजर हो रही है। नैनो यूरिया जैसी नई तकनीकों को अपनाकर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।”
अंत में, गडकरी ने किसानों से उन्नत तकनीक अपनाने और आधुनिक समाधानों का लाभ उठाने की अपील की।