वित्त पर भरतृहरि महताब के नेतृत्व वाली संसद की स्थायी समिति ने सहकारी बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं (एनबीएफसी) और अन्य छोटे डिजिटल वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के सामने बढ़ती साइबर सुरक्षा चुनौतियों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
समिति ने बताया कि सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक बैंकों के मुकाबले अधिक साइबर सुरक्षा घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसका मुख्य कारण उनकी कमजोर साइबर सुरक्षा प्रणाली और सुरक्षा उपायों को लागू करने में धीमी गति है।
रिपोर्ट के अनुसार, साइबर सुरक्षा ऑडिट में सहकारी बैंकों की स्थिति चिंताजनक है। जहां सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने अपने साइबर सुरक्षा ऑडिट पूरे कर लिए हैं, वहीं सहकारी बैंकों में केवल 10.92% (1,886 में से 206) ने यह ऑडिट किया है। यह असमानता सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती है।
समिति ने इस स्थिति को तुरंत संबोधित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इसके लिए मजबूत बुनियादी ढांचे में निवेश, कर्मचारियों और ग्राहकों को प्रशिक्षण, और नियमित ऑडिट जैसे बहुआयामी उपायों को अपनाने की सिफारिश की गई है।
इस दिशा में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और नाबार्ड ने सहकारी बैंकों की साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। दिसंबर 2019 में पेश किया गया ग्रेडेड साइबर सुरक्षा ढांचा सहकारी बैंकों को बुनियादी साइबर सुरक्षा उपायों को अपनाने के लिए बाध्य करता है, जिसमें एंडपॉइंट, सर्वर और नेटवर्क डिवाइस के लिए एंटी-मालवेयर सुरक्षा शामिल है।
इसके अतिरिक्त, टेक्नोलॉजी विजन डॉक्यूमेंट 2020 ने शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) की साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए गार्ड नामक रणनीतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। अगस्त 2021 में, आरबीआई ने मिशन एवीटीयू (अवेयरनेस वृद्धि और प्रशिक्षण) शुरू किया, जिसमें पुणे स्थित कृषि बैंकिंग कॉलेज (सीएबी) के सहयोग से यूसीबी के लिए व्यापक साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए गए।
इसके साथ ही, प्रस्तावित अंब्रेला ऑर्गनाइजेशन (यूओ) और नेशनल अर्बन कोऑपरेटिव फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के माध्यम से साझा आईटी बुनियादी ढांचा, परामर्श सेवाएं, और क्षमता निर्माण में मदद मिलने की उम्मीद है।
आरबीआई सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के लिए मजबूत सुरक्षा नियंत्रणों के साथ साझा क्लाउड सेवाओं की स्थापना की संभावना का भी अध्ययन कर रहा है, जिससे सहकारी बैंकों को बड़ा लाभ मिलेगा।