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अपने नए साल के संदेश में, एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने 2025 को भारत की सहकारी समितियों के लिए एक परिवर्तनकारी वर्ष घोषित किया।
उन्होंने एनसीयूआई द्वारा सहकारी समितियों को आधुनिक बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया, जिसमें कौशल विकास, उद्यमिता कार्यक्रम, एनसीयूआई ई-हाट जैसी डिजिटल पहलों और देशभर के संस्थानों के साथ साझेदारी को शामिल किया गया है। इन पहलों के माध्यम से शिक्षा, अनुसंधान और सहकारी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके अलावा, प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएं सुशासन, अनुपालन और स्थिरता पर केंद्रित हैं।
संघानी ने एनसीयूआई द्वारा वैश्विक संबंधों के विस्तार और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों की मेज़बानी का भी उल्लेख किया, जो भारत के सहकारी आंदोलन में नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने समावेशिता, सतत विकास और प्रधानमंत्री मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के दृष्टिकोण के साथ सहकारी आंदोलन को जोड़ने पर जोर दिया–संपादक
प्रिय सहकार साथियों,
नव वर्ष-2025 की शुभकामनाएँ ।
नव वर्ष-2025 के शुभारंभ के अवसर पर मैं देश, विदेश के सभी सहकारी नेताओं, सदस्यों और हितधारकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। नव वर्ष 2025 हमें हमारी उपलब्धियों पर विचार करने और भविष्य के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने का अवसर प्रदान करता है।
माननीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी क्षेत्र को पुनर्जीवित करने आधुनिक और सशक्त बनाने के लिए 55 से अधिक नवीन पहलों की शुरूआत की हैं। इन प्रमुख पहलों में प्राथमिक सहकारी समितियों को मजबूत करना, तीन नई बहु-राज्यीय सहकारी समितियों (एनसीईएल, बीबीएसएसएल और एनसीओएल) की स्थापना करना, कर (टैक्स) में राहत प्रदान करना, चीनी मिलों को पुनर्जीवित करना, सहकारी बैंकों में सुधार करना, एनसीडीसी का विस्तार करना और सहकारी समितियों को जीईएम पोर्टल पर खरीदारी करने में सक्षम बनाना इत्यादि शामिल हैं। इन महत्वपूर्ण पहलों का उद्देश्य उपयुक्त इन क्षेत्रों में विविधता लाने के साथ-साथ इनके प्रभाव में वृद्धि भी करना है।
भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) सम्पूर्ण देश में सहकारी आंदोलन का नेतृत्व करने वाली शीर्षस्थ संस्था हैं जो इन पहलों को लागू करने में सहकारिता मंत्रालय के साथ मिलकर कार्य कर रही है। गत वर्ष सहकारी संघ ने उल्लेखनीय प्रगति की है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के दृष्टिकोण के अनुरूप तथा सहकारिता मंत्रालय के उद्देश्यों और नवीन पहलों के साथ तालमेल बिठाते हुए एनसीयूआई ने सहकारी आंदोलन को और अधिक विस्तार देने हेतु कई नवीन पहलें की हैं।
भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के प्रशिक्षण और शिक्षा विंग, राष्ट्रीय सहकारी शिक्षा केंद्र (एनसीसीई) ने गत वर्ष के दौरान सहकारी आंदोलन के सभी क्षेत्रों को कवर करते हुए व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करके अभूतपूर्व सफलता हासिल की हैं। एनसीयूआई की सहकारी शिक्षा क्षेत्र परियोजनाओं ने पूर्वोत्तर और महिला केंद्रित पहलों के माध्यम से प्रतिभागियों को लाभान्वित करने वाले विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किए हैं। संघ के कॉप कनेक्ट विभाग ने विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रों हेतु करियर और उद्यमशीलता के अवसरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कई सफल सहकारी जागरूकता कार्यक्रर्मों को आयोजित किया ।
भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के उद्यमिता विकास और सहयोग केंद्र (सीईडीसी) ने अपने कार्यक्रमों के माध्यम से बाजार तक पहुंच बढ़ाने, कौशल विकास और स्थायी आजीविका की सुविधा प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई हैं। इनक्यूबेशन सेंटर ने दिल्ली में 5,000 से अधिक महिला उद्यमियों को प्रशिक्षित किया हैं और इसके अतिरिक्त नोएडा में भी कौशल विकास केंद्र ने प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए कॉर्पोरेट भागीदारों के साथ भरपूर सहयोग किया हैं। हर वर्ष की भांति इस बार भी अक्टूबर 2024 में आयोजित सहकारी मेले में 4,000 से 5,000 आगंतुक आए तथा इस मेले के दौरान 22 से 25 लाख रुपए की बिक्री हुई।
एनसीयूआई हाट और डिजिटल एनसीयूआई ई-हाट जैसी महत्वपूर्ण पहलों ने सहकारी समितियों और विशेष रूप से महिलाओं के नेतृत्व वाले समूहों के लिए अहम अवसर पैदा किए हैं जो कि मुख्य रूप से “वोकल फॉर लोकल” और “राष्ट्रीय आजीविका मिशन” से मेल खाते हैं। 71वें अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह का आयोजन नवंबर 2024 में किया गया। इस आयोजन में विशेष रूप से ‘विकसित भारत’ के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया तथा सहकारी मॉडल की महत्ता पर प्रकाश डाला गया।
गत वर्ष में एनसीयूआई ने लद्दाख स्वायत पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी), राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ), हस्तशिल्प एवं कालीन क्षेत्र कौशल परिषद (एचसीएसएससी), तमिलनाडु के गांधीग्राम ग्रामीण संस्थान, हैदराबाद की महिला अभिवृद्धि समिति (एपीएमएएस), कृषि एवं ग्रामीण विकास परिषद (सीएआरडी), गुजरात और मणिपाल उच्च शिक्षा अकादमी (एमएएचई) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) के माध्यम से रणनीतिक साझेदारी की जिससे शिक्षा, अनुसंधान और क्षेत्रीय विकास में हमारे प्रयासों को मजबूती मिली है। उक्त प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ ये समझौता ज्ञापन सहयोग और नवाचार को संभावित बढ़ावा दे रहे हैं तथा उभरते क्षेत्रों में सहकारी गतिविधियों के दायरे का भी व्यापक विस्तार कर रहे हैं।
एनसीयूआई के राष्ट्रीय सहकारी संसाधन केंद्र (एनसीआरसी) और शोध थिंक टैंक ने सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण, शासन चुनौतियों का समाधान, क्षेत्र-विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने और नई सहकारी समितियों के गठन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसका मिशन सहकारी समितियों को प्रतिस्पर्धी व्यावसायिक उद्यमों और स्व-नियामक संस्थानों में परिवर्तित करना है। केंद्र ने सहकारी समितियों के मूल सिद्धांतों और क्षेत्रीय पहलुओं पर व्यापक प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उन्हें सहकारी विस्तार और सलाहकार सेवा (सीईएएस) लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम पोर्टल पर भी जारी किया है। इस विभाग ने नई दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक और झारखंड सहित विभिन्न राज्यों में पैक्स और आवास सहकारी समितियों पर प्रशिक्षकों हेतु विशेष प्रशिक्षण (टीओटी) कार्यक्रम आयोजित किए। इसके अतिरिक्त देश के विभिन्न हिस्सों में सहकारिता मंत्रालय के साथ साझेदारी में सहकारी सूचना अधिकारियों (सीआईओ) और बहु-राज्यीय सहकारी समितियों के लोकपाल हेतु “जिम्मेदार शासन, अनुपालन और स्थिरता पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए।
एनसीयूआई ने लद्दाख में ‘सहकारिता के संवर्धन और विकास” पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें क्षेत्र की सांस्कृतिक और भौगोलिक शक्तियों के साथ वहाँ पर एक स्थायी सहकारी तंत्र बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। दिनांक 6 जुलाई, 2024 को गांधीनगर, गुजराल के सहकारी संगठनों के सहयोग से “सहकार से समृद्धि” नामक विषय पर सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह आयोजन 102वें अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर किया गया था।
एनसीयूआई के अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग ने मलेशिया के सहकारी संस्थान (आईकेएमए), ब्राजील के कृषि औद्योगिक सहकारी समितियों, स्टेट ग्रेट हुरल (मंगोलिया की संसद) और इथियोपिया के टिये में फाना यूथ सेविंग एंड क्रेडिट कोऑपरेटिव के प्रतिनिधिमंडलों की मेजबानी करके वैश्विक संबंधों को और अधिक मजबूत किया है। इन सहयोगों ने नान के आदान-प्रदान तथा साझेदारी को बढ़ावा दिया है जो कि वैश्विक स्तर पर सहकारी आंदोलन में भारत के नेतृत्व को प्रदर्शित करता है।
भारत द्वारा आईसीए वैश्विक सहकारी सम्मेलन की ऐतिहासिक मेजबानी और संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2025 को ‘अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष’ घोषित करने से वैश्विक सहकारी आंदोलन में भारत की स्थिति और भी मजबूत हुई है। निश्चित रूप से यह कदम सतत और समावेशी विकास में सहकारी समितियों के महत्व को दर्शाते हैं।
गत वर्ष के दौरान की गई पहलों पर विचार करते हुए यह स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है कि देश का सहकारी क्षेत्र अभूतपूर्व प्रगति की और अग्रसर है। इसके अतिरिक्त एनसीयूआई यह भी सुनिश्चित करता है कि सहकारी समितियाँ शिक्षा और समावेशी एवं सतत विकास में योगदान करते हुए अपने लोकतांत्रिक और न्यायसंगत मूल्यों को बरकरार रखें। जैसा कि हम वर्ष 2025 में अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष की शुरुआल कर रहे हैं तो हम विश्वास कर सकते हैं कि सहकारिता की मूल भावना के उद्देश्य को हम नई दिशा एवं दशा देंगे। यह आगामी वर्ष-2025 हमें भारत के सहकारी आंदोलन को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने और भारतीय सहकारी क्षेत्र में एक नेता के रूप में एनसीयूआई की भूमिका को मजबूत करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करते है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सरकार के साथ मिलकर हम सहकारी आंदोलन को विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सफल होंगे।
आइए हम दृढ संकल्प के साथ आगे बढ़े और भविष्य में आने वाले अवसरों को अपनाते हुए सहकारिता क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करें।
आप सभी को पुनः नववर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं।
(दिलीप संघाणी)