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गणतंत्र दिवस: मोहोल ने पैक्स प्रतिनिधियों से की बातचीत

76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल ने विशेष अतिथि के तौर पर नई दिल्ली में देश के 13 राज्यों से आए 100 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के 200 से अधिक प्रतिनिधियों के साथ संवाद किया।

इस अवसर पर सहकारिता सचिव आशीष कुमार भूटानी सहित मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे 13 राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इन राज्यों में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के कंप्यूटराइजेशन का कार्य तेज़ी से प्रगति कर रहा है। डिजिटलीकरण से पैक्स न केवल पारदर्शी और कार्यकुशल बन रहे हैं, बल्कि वे ग्रामीण भारत में आर्थिक और सामाजिक विकास का एक मजबूत स्तंभ बनते जा रहे हैं।

इस अवसर पर मुरलीधर मोहोल ने कहा, “पैक्स ग्रामीण भारत के विकास में एक मजबूत कड़ी हैं। उनका सशक्तिकरण और डिजिटलीकरण ‘सहकार से समृद्धि’ के हमारे दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। पैक्स को बहुउद्देश्यीय संस्थानों में बदलना न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि यह देश के सतत विकास लक्ष्यों को भी पूरा करने में सहायक होगा।”

सरकार का उद्देश्य पैक्स को न केवल कृषि ऋण वितरण तक सीमित रखना है, बल्कि उन्हें सामुदायिक विकास और ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता के केंद्र में बदलना है। सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण से जहां पारदर्शिता और कुशलता बढ़ेगी, वहीं यह ग्रामीण समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाएगा।

पैक्स की यह नई भूमिका और गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर उन्हें मिला यह सम्मान निश्चित रूप से भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में सहायक होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में, भारत सरकार पैक्स को बहुउद्देश्यीय संस्थानों में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार की “सहकार से समृद्धि” की परिकल्पना के अंतर्गत पैक्स को सशक्त करने के लिए नाबार्ड, राज्य सरकारों और सहकारी बैंकों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है।

‘प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के कंप्यूटराइजेशन’ की केंद्रीय प्रायोजित परियोजना का लक्ष्य देशभर में 67,930 पैक्स का कंप्यूटराइजेशन करना है। यह परियोजना न केवल वित्तीय सेवाओं की पहुंच में सुधार करेगी, बल्कि ऋण संवितरण, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण और उन्नत बैंकिंग सेवाओं की प्रक्रिया को भी तेज करेगी। इसके अतिरिक्त, पैक्स अब गैर-वित्तीय सेवाएं जैसे अनाज भंडारण, कॉमन सेवा केंद्र और जन औषधि केंद्र प्रदान करने में भी सक्षम हो रहे हैं।

डिजिटलीकरण ने पैक्स को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और लाभदायक बनाया है। ग्रामीण समुदायों को बैंकिंग और अन्य वित्तीय सेवाओं की आसानी से उपलब्धता हो रही है। साथ ही, डिजिटल तकनीक ने पैक्स को ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और विकास का केंद्र बना दिया है।

पैक्स के सुदृढ़ होने से न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं की पहुंच बढ़ी है, बल्कि यह समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुआ है। पैक्स अब ग्रामीण विकास के अन्य पहलुओं जैसे कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा में भी योगदान दे रहे हैं।

76वें गणतंत्र दिवस पर पैक्स प्रतिनिधियों को विशेष अतिथि के रूप में बुलाने का निर्णय सहकारी समितियों की भूमिका और उनके योगदान को पहचानने का एक अनूठा प्रयास है। यह न केवल सहकारी क्षेत्र के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि ग्रामीण भारत को मुख्यधारा के विकास में शामिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल भी है।

 

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