गुजरात राज्य सहकारी संघ ने अहमदाबाद में हाल ही में ‘युवा महिला सहकारी संगोष्ठी – 2025’ का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य युवतियों को सहकारिता क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करना था। यह संगोष्ठी अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष – 2025 और राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित की गई।
संगोष्ठी में गुजरात के विभिन्न हिस्सों से 1,000 से अधिक कॉलेज छात्राओं ने भाग लिया। पारूल यूनिवर्सिटी की उपाध्यक्ष डॉ. पारूलबेन पटेल ने उद्घाटन किया और अपने भाषण में शिक्षा को रोजगार और उद्यमिता के लिए नए विचार उत्पन्न करने का साधन बताते हुए युवतियों को शिक्षा का महत्व समझाया।
गुजरात राज्य सहकारी संघ के अध्यक्ष घनश्यामभाई एच. अमीन ने सहकारी क्षेत्र के आर्थिक विकास में योगदान को रेखांकित करते हुए बताया कि सहकारिता आंदोलन 118 देशों में संचालित है और इसके 70 करोड़ सदस्य हैं। भारत की 8 लाख सहकारी समितियों से 35 करोड़ लोग जुड़े हैं, जबकि गुजरात की 89,000 सहकारी समितियों से 1.4 करोड़ लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
उन्होंने सहकारी संस्थाओं की समावेशिता और सेवा-उन्मुख दृष्टिकोण पर जोर देते हुए बताया कि सहकारी संस्थाओं ने गरीब और मध्यम वर्ग को आर्थिक मंच प्रदान किया है। साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “सहकार से समृद्धि” के नारे का उल्लेख करते हुए सहकारी आंदोलन की अहमियत को समझाया।
एनसीयूआई की वित्त निदेशक संध्या कपूर ने “सहकारी संस्थाएं बेहतर दुनिया बनाती हैं” विषय पर चर्चा की, और मोटिवेशनल स्पीकर संजय रावल ने युवतियों को प्रेरित किया।
कार्यक्रम के दौरान “सहकारे शक्ति” नामक पुस्तिका का विमोचन किया गया, जिसमें सहकारी विकास में युवाओं की भागीदारी पर ध्यान केंद्रित किया गया।
कार्यक्रम का समापन गुजरात राज्य सहकारी संघ के सूचना अधिकारी सी.जे. दवे द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। मेहसाणा सेंटर के प्रिंसिपल अल्पेशभाई रावल ने पूरे कार्यक्रम का संचालन किया।
यह संगोष्ठी एक प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक आयोजन साबित हुआ, जिसने युवतियों को सहकारी आंदोलन में योगदान देकर व्यक्तिगत और राष्ट्रीय विकास को गति देने के लिए प्रोत्साहित किया।