बिस्कोमान चुनाव विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इसमें नया मोड़ तब आया, जब सहकारी चुनाव प्राधिकरण ने वोटों की दोबारा गिनती का आदेश दिया। बिस्कोमान के निवर्तमान अध्यक्ष सुनील सिंह ने इसे अपनी जीत पलटने की साजिश करार दिया, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी विशाल सिंह ने करीबी अंतर से हार के मामलों में रिकाउंटिंग को सामान्य प्रक्रिया बताया।
रिटर्निंग ऑफिसर की आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, वोटों की दोबारा गिनती 1 फरवरी 2025 को सुबह 11 बजे श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल, गांधी मैदान, पटना में होगी। अधिसूचना में कहा गया है, “सहकारी चुनाव प्राधिकरण, सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार, ने बिस्कोमान (बिहार-झारखंड) निदेशक मंडल के ग्रुप ‘ए’ (सामान्य) और ग्रुप ‘ए’ (एससी/एसटी) पदों के लिए मतगणना की दोबारा गिनती का निर्देश दिया है। संबंधित पक्ष अपने या अपने अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से उपस्थित हों।”
पाठकों को याद होगा कि 24 जनवरी 2025 को हुए बिस्कोमान के चुनाव में राजद नेता सुनील सिंह ने भाजपा नेता विशाल सिंह के नेतृत्व वाले पैनल को हराया था।
सुनील सिंह ने इस फैसले पर मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, “यह चुनाव बिहार सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और सहकारी चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की निगरानी में हुआ था। अचानक इस तरह का आदेश सीईए की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।”
हालांकि, उन्होंने दोबारा गिनती को सीधे खारिज नहीं किया, लेकिन बैलेट में गड़बड़ी की आशंका जताई और इसे चंडीगढ़ मेयर चुनाव से जोड़ा।
विशाल सिंह ने सुनील सिंह के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “करीबी अंतर से हार के मामलों में रिकाउंटिंग एक सामान्य प्रक्रिया है। अगर सुनील जी के उम्मीदवार इतने कम अंतर से हारते, तो वे भी रिकाउंटिंग की मांग करते।”
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ उम्मीदवारों के 20 से अधिक वोट रद्द किए गए थे, जिन्हें न्यायपूर्ण अवसर मिलना चाहिए। विशाल सिंह ने एनसीसीएफ की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी संस्था ने सरकार के सहयोग से 150 करोड़ का लाभ अर्जित किया है। उन्होंने सहकारिता की भावना पर जोर देते हुए कहा, “सच्चा सहकारी नेता वही होता है, जो ‘सरकार-सहकार’ संबंध के महत्व को समझता है।”
विशाल सिंह ने सुनील सिंह के पुराने बयानों पर तंज कसते हुए याद दिलाया, “यही व्यक्ति था, जिसने कहा था कि अगर मैं 25, 35 या 51 वोट भी ले आया, तो वह राजनीति छोड़ देंगे। अब जब मैंने बिस्कोमान चुनाव में 140 से अधिक वोट प्राप्त किए हैं, तो क्या वे अपने शब्दों पर कायम रहेंगे? वे सहकारी हलकों में अपनी बढ़-चढ़कर की गई घोषणाओं के लिए जाने जाते हैं।”
विशाल ने आगे कहा, “सहकारिता आंदोलन को नुकसान तब होता है, जब कोई हर मुद्दे में सरकार को घसीटने की कोशिश करता है।” उन्होंने सहकारिता और सरकार के बीच संतुलन के महत्व पर जोर दिया।
इस बीच, सुनील सिंह ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाने की घोषणा की है, जहां वे सरकार पर बिस्कोमान में उनकी स्थिति को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए नए सिरे से चुनाव कराने की मांग करेंगे।
जैसे-जैसे विवाद गहराता जा रहा है, सभी की निगाहें 1 फरवरी 2025 को होने वाली गिनती पर टिकी हैं। इस घटनाक्रम से बिहार की सहकारी राजनीति में तनाव और बढ़ने की आशंका है।