
नोटबंदी के नौ साल बाद भी महाराष्ट्र के कुछ जिला सहकारी बैंक 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों के रूप में जमा 101.18 करोड़ रुपये की समस्या से जूझ रहे हैं। यह मामला अब भी वित्तीय और कानूनी अड़चनों में उलझा हुआ है।
जानकारी के अनुसार, राज्य के कई सहकारी बैंक इन पुराने नोटों को अब तक जमा नहीं कर पाए हैं और न ही इन्हें नष्ट करने की अनुमति मिली है।
फंसी हुई रकम की बात करें तो वर्धा जिला सहकारी बैंक में 78 लाख रुपये, नागपुर में 5.02 करोड़ रुपये, अमरावती में 11 लाख रुपये, पुणे में 22.25 करोड़ रुपये, कोल्हापुर में 25.27 करोड़ रुपये, सांगली में 14.72 करोड़ रुपये, नासिक में 21.32 करोड़ रुपये और अहिल्यानगर में 11.68 करोड़ रुपये अब भी अटके हुए हैं।
हालांकि, इस समस्या के समाधान के लिए कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है। नतीजतन, बैंक इन अमान्य नोटों के बोझ से दबे हुए हैं और यह धन बैंकों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बन गया है।