
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल) के पारंपरिक एवं मीठे बीजों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक के दौरान उन्होंने खरीफ-2025 से देश के विभिन्न क्षेत्रों के चुनिंदा पारंपरिक बीजों के जैविक उत्पादन और उनकी विस्तृत उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
बैठक में चर्चा के दौरान केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि बीबीएसएसएल पारंपरिक बीजों के संरक्षण और संवर्धन के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने पारंपरिक बीजों की जैविक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराए जा सकें और पारंपरिक कृषि पद्धतियों को मजबूती मिले।
अमित शाह ने देशभर के विशिष्ट पारंपरिक बीजों के उत्पादन और प्रसार को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। इनमें गुजरात का अमरेली बाजरा, उत्तराखंड का गहत और मण्डुआ, बुंदेलखंड की मेथी, काठिया गेहूं, मुनस्यारी राजमा और काला भट्ट, बंगाल का जूही धान और गोपाल भोग धान शामिल हैं। इसके अलावा, काला नमक धान की चार प्रजातियाँ भी इस सूची में शामिल की गई हैं, जिनके संरक्षण और संवर्धन को प्राथमिकता दी जाएगी।
बैठक के दौरान अमित शाह ने यह भी निर्देश दिए कि देशभर से पारंपरिक, मीठे और विशिष्ट बीजों की जानकारी एकत्रित कर उनका एक विस्तृत डेटाबेस तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि बीजों के संरक्षण और संवर्धन के लिए व्यापक कार्ययोजना लागू की जानी चाहिए।
इस समीक्षा बैठक के माध्यम से सरकार पारंपरिक बीजों के पुनरुद्धार और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठा रही है। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और कृषि क्षेत्र आत्मनिर्भर बनेगा।