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पीएम ने की सहकारी गतिविधियों की समीक्षा; दिया महिला भागीदारी पर जोर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 7 लोक कल्याण मार्ग पर सहकारिता क्षेत्र की प्रगति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में “सहकार से समृद्धि” के विजन को आगे बढ़ाने, तकनीकी प्रगति के माध्यम से सहकारिता क्षेत्र को सशक्त बनाने और युवाओं एवं महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं पर चर्चा की गई।

प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सहकारिता क्षेत्र के वैश्विक विस्तार की आवश्यकता पर जोर देते हुए अंतरराष्ट्रीय सहकारी संगठनों के साथ साझेदारी करने की बात कही। उन्होंने सहकारी समितियों के माध्यम से जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने, निर्यात बाजारों पर ध्यान केंद्रित करने और मृदा परीक्षण मॉडल विकसित करने का सुझाव दिया, जिससे कृषि पद्धतियों में सुधार लाया जा सके।

प्रधानमंत्री ने वित्तीय लेनदेन को सरल बनाने के लिए यूपीआई को रुपे केसीसी कार्ड के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सहकारी संगठनों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उनकी संपत्तियों के दस्तावेजीकरण को महत्वपूर्ण बताया। इसके साथ ही, सहकारी खेती को टिकाऊ कृषि मॉडल के रूप में बढ़ावा देने पर भी जोर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने सहकारिता क्षेत्र में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए स्कूलों, कॉलेजों और आईआईएम में सहकारिता पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने सहकारिता संगठनों को उनके प्रदर्शन के आधार पर रैंकिंग देने का सुझाव दिया, जिससे प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।

बैठक में प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 और सहकारिता मंत्रालय की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी गई। यह नीति सहकारिता क्षेत्र के व्यवस्थित और समग्र विकास को गति देने पर केंद्रित है, जिसमें महिलाओं और युवाओं को प्राथमिकता दी गई है। नीति का उद्देश्य सहकारी समितियों को एक मजबूत कानूनी और संस्थागत ढांचे के तहत संचालित करना है और ग्रामीण आर्थिक विकास को तेज करना है।

मंत्रालय ने सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए सात प्रमुख क्षेत्रों में 60 नई पहलें शुरू की हैं, जिनमें राष्ट्रीय सहकारिता डेटाबेस और कम्प्यूटरीकरण परियोजना शामिल है, जिससे सहकारी संस्थाओं का डिजिटलीकरण होगा। इसके अलावा, प्राथमिक कृषि साख समितियों को मजबूत करने और सहकारी चीनी मिलों की दक्षता एवं स्थिरता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

भारत सरकार ने “संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण” के तहत 10 से अधिक मंत्रालयों की 15 योजनाओं को सहकारी समितियों के साथ जोड़ा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में आय और अवसरों में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, सहकारिता शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इरमा आनंद को “त्रिभुवन सहकारिता विश्वविद्यालय” में बदलने का प्रस्ताव भी संसद में पेश किया गया है।

बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि भारत में 8.2 लाख से अधिक सहकारी संस्थाएं कार्यरत हैं, जिनकी सदस्य संख्या 30 करोड़ से अधिक है। वर्तमान में देश की 20% आबादी सहकारिता क्षेत्र से जुड़ी हुई है, जो कृषि, ग्रामीण विकास और आर्थिक समावेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

इस उच्च स्तरीय बैठक में गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा, प्रधानमंत्री के सलाहकार अमित खरे और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

“सहकार से समृद्धि” के लक्ष्य की दिशा में भारत सरकार लगातार आगे बढ़ रही है, जिससे सहकारी आंदोलन को मजबूती मिलेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाया जाएगा।

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