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केरल बैंक की सफलता सहकारिता के लिए महत्वपूर्ण मोड़: मराठे

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक सतीश मराठे ने कहा कि केरल के जिला सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के विलय से बने केरल बैंक की सफलता पर पूरे सहकारी क्षेत्र की बारीकी से नजर है। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो यह ग्रामीण ऋण वितरण के लिए एक मिसाल बन सकता है।

मराठे केरल बैंक के निदेशक मंडल और प्रबंधन बोर्ड की संयुक्त बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने बताया कि बैंक ने अब तक एक लाख से अधिक लघु और सूक्ष्म उद्यमों को ऋण प्रदान किया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। बैंक की कुल ऋण वितरण में से 27% हिस्सा कृषि ऋण का है, जो किसानों के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

मराठे ने केरल बैंक की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि ग्रामीण उद्यमों की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए नवाचार आधारित बैंकिंग उत्पाद और सेवाओं का विकास आवश्यक है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि कृषि प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नीति-स्तर पर ठोस कदम उठाने होंगे, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिल सके।

बैठक में केरल बैंक के अध्यक्ष गोपी कोट्टमुरिक्कल और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जोर्टी एम. चाको ने मराठे की यात्रा को बैंक की आर्थिक विकास पहलों के लिए प्रेरणादायक बताया। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं के विस्तार और किसानों एवं छोटे व्यवसायों के लिए आसान ऋण उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता दोहराई।

इस बैठक में प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष वी. रवींद्रन, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक बैजू एन. कुरुप, प्रशासनिक समिति और प्रबंधन बोर्ड के अन्य प्रमुख अधिकारी भी उपस्थित थे।

केरल बैंक को सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में एक अग्रणी पहल के रूप में स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य ग्रामीण समुदायों के लिए एक मजबूत वित्तीय ढांचा तैयार करना है। सहकारी बैंकिंग को आधुनिक वित्तीय तकनीकों से जोड़ते हुए, यह बैंक छोटे व्यवसायों, किसानों और स्वयं सहायता समूहों को प्रभावी ऋण समाधान प्रदान कर रहा है।

सतीश मराठे द्वारा केरल बैंक की प्रगति की सराहना इसके बढ़ते महत्व को दर्शाती है। उनके नीति और नवाचार संबंधी सुझाव बैंक की भविष्य की रणनीतियों को और मजबूत करेंगे। यदि सरकार और अन्य संस्थानों का समर्थन इसी तरह जारी रहा, तो केरल बैंक की सफलता सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव ला सकती है और वित्तीय समावेशन व ग्रामीण समृद्धि में अहम योगदान दे सकती है।

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