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त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक पारित, हर साल प्रशिक्षित होंगे 8 लाख पेशेवर

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक, 2025 पर चर्चा का उत्तर दिया। चर्चा के बाद सदन ने विधेयक को पारित कर दिया।

चर्चा का उत्तर देते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता एक ऐसा विषय है जो देश के हर परिवार को प्रभावित करता है। प्रत्येक गाँव में कोई न कोई इकाई सहकारिता के माध्यम से कृषि विकास, ग्रामीण विकास और स्वरोजगार को बढ़ावा देने में योगदान दे रही है। शाह ने कहा कि आज़ादी के 75 वर्षों बाद देश को पहली सहकारी विश्वविद्यालय मिलने जा रही है। इस विधेयक के पारित होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी, स्वरोजगार और लघु उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा, सामाजिक समावेशिता बढ़ेगी, तथा नवाचार और अनुसंधान के नए मानक स्थापित होंगे।

उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना से देश को सहकारिता की भावना से ओत-प्रोत और आधुनिक शिक्षा से युक्त एक नया सहकारी नेतृत्व मिलेगा।

अमित शाह ने बताया कि इस सहकारी विश्वविद्यालय का नाम ‘त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय’ रखने का निर्णय लिया गया है। त्रिभुवन दास पटेल, सरदार पटेल के मार्गदर्शन में रहकर भारत में सहकारिता की नींव रखने वाले प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे। उन्होंने कहा कि आज जिस गुजरात राज्य सहकारी दुग्ध विपणन संघ को हम ‘अमूल’ के नाम से जानते हैं, वह त्रिभुवन दास पटेल की सोच और परिश्रम का परिणाम है।

अमित शाह ने विपक्ष के विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कुछ लोग केवल इसलिए इस विश्वविद्यालय का विरोध कर रहे हैं क्योंकि इसका नाम किसी विशेष परिवार से संबंधित नहीं है, जबकि त्रिभुवन दास पटेल भी देश के सम्मानित नेता थे।

उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र के विकास और विस्तार के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन की आवश्यकता है, और त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय इस आवश्यकता को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस विश्वविद्यालय के डिग्री और डिप्लोमा धारकों को नौकरी के अवसर मिलेंगे और यह संस्थान घरेलू के साथ-साथ वैश्विक मूल्य शृंखला (ग्लोबल वैल्यू चेन) में भी योगदान देगा।

इसके अलावा, उन्होंने बताया कि न्यू-एज कोऑपरेटिव कल्चर की नींव भी इसी विश्वविद्यालय से रखी जाएगी। देशभर में सहकारी शिक्षण और प्रशिक्षण संस्थान तो हैं, लेकिन उनमें कोई कॉमन कोर्स नहीं है। हमने विश्वविद्यालय स्थापित करने से पहले ही सहकारी क्षेत्र की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कोर्स डिज़ाइन तैयार कर लिया है। इस विश्वविद्यालय में डिग्री और डिप्लोमा के साथ-साथ पीएचडी कार्यक्रम भी होंगे। इसके अतिरिक्त, सहकारी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के लिए एक सप्ताह का प्रमाणपत्र (सर्टिफिकेट) कोर्स भी उपलब्ध होगा।

शाह ने कहा कि त्रिभुवन दास पटेल के नाम से जुड़ा यह विश्वविद्यालय उच्च कोटि का होगा और यह देश को उत्कृष्ट सहकारी कर्मी प्रदान करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि त्रिभुवन दास पटेल की सोच थी कि सहकारी क्षेत्र का लाभ हर गरीब महिला तक पहुँचे, और इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस विश्वविद्यालय का नामकरण उनके सम्मान में किया गया है।

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