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एनसीयूआई: संघानी ने फंड-दुरुपयोग के आरोपों के बाद की कड़ी कार्रवाई

नेशनल कोऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया (एनसीयूआई) ने 7 अप्रैल 2025 से 50,000 रुपये से अधिक वेतन पाने वाले सभी संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) कर्मचारियों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी हैं। यह निर्णय संगठन की हाल ही में सिक्किम में हुई गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद लिया गया, जिसमें कई स्थायी कर्मचारियों के पोर्टफोलियो में भी महत्वपूर्ण फेरबदल किया गया।

एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने इंडियन कोऑपरेटिव से बातचीत में कहा, “हाल ही में शुरू की गई कुछ योजनाओं में फंड के दुरुपयोग को लेकर मेरे कार्यालय को गंभीर शिकायतें प्राप्त हुई थीं। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए हमने पहले चरण में उच्च वेतन पाने वाले संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया है।”

उन्होंने आगे कहा, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि जिन परियोजनाओं की ज़िम्मेदारी इन कर्मियों के पास थी, उन्हें संस्था के हितों को प्रभावित किए बिना पुनर्गठित किया जाए। हमारा उद्देश्य है—पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ संस्था की कार्यप्रणाली को और अधिक सुदृढ़ बनाना।”

संघानी ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रशासनिक फेरबदल और संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त करना केवल प्रारंभिक कदम हैं। इसके बाद एक थर्ड पार्टी ऑडिट के माध्यम से पूरे मामले की गहराई से जांच की जाएगी।

उन्होंने बताया कि नोटिस जारी करने से पूर्व संविदा शर्तों की समीक्षा कर यह सुनिश्चित कर लिया गया था कि सेवाएं बिना कोई कारण बताए समाप्त की जा सकती हैं।

एक उच्च स्तरीय विश्वसनीय सूत्र के अनुसार, “गवर्निंग काउंसिल की बैठक में अध्यक्ष संघानी ने यह मुद्दा पूर्ण गोपनीयता के साथ, बिना किसी पूर्व सूचना के उठाया, ताकि उनके निर्णय को न तो चुनौती दी जा सके और न ही उसमें संशोधन संभव हो।”

बाद में कई काउंसिल सदस्यों ने माना कि जब अध्यक्ष इतने दृढ़ निश्चयी हों — और संभवतः उनके पास कुछ संवेदनशील एवं निर्णायक जानकारी भी हो — तो उनके निर्णय का विरोध करना लगभग असंभव हो जाता है।

यह भी उल्लेखनीय है कि कुछ संविदा कर्मचारी प्रति माह 2.5 लाख रुपये तक वेतन प्राप्त कर रहे थे। जिन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की गई हैं, उनमें सुमित कुमार सिंह, सागर किसान वाडकर, श्रीजा सिन्हा, यशांक कल्याणी, डॉ. वी.के. दुबे, अशुतोष गंगवार, संजय वर्मा सहित कई अन्य शामिल हैं। ये सभी सलाहकार, अनुसंधान अधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत थे।

नई प्रशासनिक व्यवस्था के तहत कार्यकारी निदेशक आशीष द्विवेदी को पर्सनल डिवीजन की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि निदेशक संध्या कपूर अब एनसीआरसी और सीईएएस डिवीजन की देखरेख करेंगी। उप निदेशक हरी प्रकाश एस्टेट डिवीजन का कार्यभार संभालेंगे और उप निदेशक अनुराग डैंग को वित्त डिवीजन की जिम्मेदारी दी गई है। इसी क्रम में, कार्यकारी निदेशक ऋतेश डे अब बोर्ड डिवीजन की निगरानी करेंगे।

इस बीच, सूत्रों के अनुसार संगठन में लगभग 1.25 करोड़ रुपये के फंड के दुरुपयोग की आशंका भी जताई जा रही है।

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