
नेशनल कोऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया (एनसीयूआई) के गलियारों में इन दिनों सबसे बड़ा सवाल यही है कि हाल ही में संस्था के अध्यक्ष द्वारा लिए गए एक कठोर निर्णय के बाद, क्या संस्था के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर महाजन अपने पद पर बने रहेंगे या उन्हें पद छोड़ना पड़ेगा।
संस्था की पिछली बोर्ड बैठक में अध्यक्ष ने उन अनुबंधित कर्मचारियों को हटाने का निर्णय लिया, जो 50,000 हजार रुपये से अधिक वेतन प्राप्त कर रहे थे। बताया जा रहा है कि इन कर्मचारियों में से कई की नियुक्ति महाजन के कार्यकाल के दौरान की गई थी।
अब जब एनसीयूआई में फंड के कथित दुरुपयोग को लेकर चर्चाएं तेज हो रही हैं, तो पूरे संगठन में यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि महाजन अगला कदम क्या उठाएंगे।
हालांकि उनके खिलाफ अभी तक कोई सीधा आरोप नहीं है, लेकिन यह तथ्य अनदेखा नहीं किया जा सकता कि ये सभी सलाहकार उनके अधीन कार्य कर रहे थे और उनके साथ करीबी समन्वय में जुड़े थे।
सूत्रों के अनुसार, जब यह मुद्दा सिक्किम बोर्ड की बैठक में औपचारिक रूप से उठाया गया, तो महाजन काफी परेशान नजर आए।
एक उच्च स्तरीय सूत्र ने बताया कि एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने यह विषय बिना किसी पूर्व सूचना के बैठक में उठाया, ताकि उनके निर्णय को चुनौती देने या कमज़ोर करने की कोई संभावना न रह जाए।
अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि सुधीर महाजन इस परिस्थिति में क्या निर्णय लेते हैं — क्या वह पद पर बने रहते हैं या फिर नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए स्वेच्छा से इस्तीफा देते हैं।