
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में राज्य स्तरीय सहकारी सम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग और केन्द्रीय सहकारिता सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
शाह ने अपने संबोधन में कहा कि मध्य प्रदेश में कृषि, पशुपालन और सहकारिता के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इनका पूरी तरह दोहन करने के लिए ठोस कार्य योजना और प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि लंबे समय से सहकारिता आंदोलन ठप पड़ा हुआ था, जिसकी मुख्य वजह थी – समयानुकूल सहकारी कानूनों में बदलाव की कमी।
उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव को छोड़कर बाकी सभी सहकारी संस्थाएं राज्यों के अंतर्गत आती हैं, और वर्षों तक राष्ट्रीय स्तर पर कोई सहकारिता मंत्रालय नहीं था। लेकिन आजादी के 75 साल बाद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना कर एक क्रांतिकारी कदम उठाया।
शाह ने कहा कि प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को अब केवल कृषि ऋण तक सीमित नहीं रखा गया है। अब ये समितियां जन औषधि केंद्र, जल वितरण, कॉमन सर्विस सेंटर जैसी 20 से अधिक सेवाएं दे रही हैं।
भारत सरकार ने 2500 करोड़ रुपये की लागत से सभी पैक्स का कंप्यूटराइजेशन कराया है। इस अभियान में मध्य प्रदेश ने पूरे देश में पहला स्थान प्राप्त किया है। अब PACS में काम 13 भाषाओं में हो सकता है – जिससे किसान अपनी मातृभाषा में सेवा ले सकते हैं।
शाह ने कहा कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और मध्य प्रदेश सहकारी डेयरी फेडरेशन के बीच हुए अनुबंध से प्रदेश में दुग्ध सहकारी समितियों का विस्तार होगा। वर्तमान में प्रदेश में केवल 17% गांवों में दूध संग्रहण की व्यवस्था है, लेकिन इस अनुबंध से 83% गांवों तक इसका विस्तार संभव हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में 5.5 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है, लेकिन सहकारी डेयरियों की हिस्सेदारी केवल 2.5% है। आगामी पांच वर्षों में लक्ष्य है कि कम से कम 50% गांवों में प्राथमिक दुग्ध उत्पादक समितियां स्थापित की जाएं।
शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई है। इसमें अकाउंटेंट, डेयरी इंजीनियर, पशु चिकित्सक और कृषि वैज्ञानिक सहकारी सोच के साथ तैयार होंगे।