यूरिया निर्माता कंपनियों को अब 75 प्रतिशत नीम लेपित यूरिया का उत्पादन करना होगा। केंद्र सरकार ने यह निर्णय यूरिया के अत्यधिक उपयोग को मद्देनजर रखते हुये लिया है।
इससे सरकारी सब्सिडी रु.6,500.०० करोड़ तक कम होने की संभावना है। यूरीया का अधिक मात्रा में उपयोग न केवल मिट्टी को ही प्रभावित करता है बल्कि फसलों पर भी उसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इफको के प्रबंध निदेशक डॉ यू.एस.अवस्थी सहित कई विवेकशील सहकारी नेता किसानों को इसके बारे में शिक्षित करते रहें हैं।
सूत्रों का कहना है कि उर्वरक मंत्रालय ने यूरिया निर्माताओं को इस संबंध में एक नोटिस भी जारी किया है। उर्वरक मंत्री अनंत कुमार का कहना है कि नीम लेपित यूरिया फसलों के उत्पादन को 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ानें में सहायक होगी। इससे यूरिया के प्रयोग में भी 15 से 20 प्रतिशत तक कमी आएगी।
यूरिया पर भारी सब्सिडी दी जाती है इसलिए इसका जरूरत से ज्यादा प्रयोग हो रहा है। इसके अत्यधिक प्रयोग ने पोटाश, नाइट्रोजन, फास्फोरस के आदर्श अनुपात को बदल दिया है।
नीम लेपित यूरिया का अधिक से अधिक उपयोग किए जाने से औद्धोगिक क्षेत्र में इसका प्रयोग हतोत्साहित होगा। यह कीटनाशक के रूप में भी कार्य करता है।