इफको

इफको ने सैलाब से फसलों को बचाया

डेली हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक “इफको 1744” और “इफको 18-18-18” ने केरल के मध्य क्षेत्रों की फसलों को बाढ़ से प्रभावित होने से बचाया है। गौरतलब है कि तंजावुर जिले के तिरुवरुर और तिरूकत्तुपल्ली क्षेत्र मध्य क्षेत्र के सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक हैं।

रिपोर्ट के अनुसार भारतीय किसान उर्वरक सहकारी  (इफको) ने वाटर-सोलुब्ल उर्वरक को केंद्रीय जिलों के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचाने में विशेष पहल की है, जहां फसलों को तेज बारिश ने पिछले तीन दिनों से क्षतिग्रस्त किया हुआ है।

इफको के एमडी ने ट्वीट में लिखा कि “डब्लूएसएफ द्वारा सैलाब से फसलों को बचाया गया। इफको उर्वरक का वितरण करती है और इफको फसल को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा”।

रिपोर्ट के मुताबिक मध्य क्षेत्रो के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश होने के कारण दाल और काले चने की फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है।

बारिश के ठहरे हुए पानी की वजह से उपज के प्रभावित होने की संभावना अधिक है, फसलों को बचाने के लिए इफको ने मध्य क्षेत्र के गांवों में वाटर-सोलुब्ल उर्वरक का वितरण किया गया है। जबकि मध्य क्षेत्र के ज्यादातर गांव दालों की उपज करते हैं और तंजावुर जिले में भारी बारिश ने किसानों के लिए समस्या उत्पन्न कर दी थी।

गौरतलब है कि वाटर-सोलुब्ल उर्वरक दो प्रकार के होते है- “इफको 1744” और “इफको 18-18-18” जिसका सैलाब के वक्त फसल को बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। “इफको 1744’ उर्वरक किसानों द्वारा सबसे ज्यादा मांग की जाती है।

"इफको 1744" वाटर-सोलुब्ल उर्वरक का तत्काल इस्तेमाल होने से फसल पर सकारात्मक प्रभाव होता है और हम सैलाब से उत्पन्न तमाम समस्याओं के बारे में विस्तृत विज्ञापन देते है, इफको के मुख्य क्षेत्र अधिकारी डी सुब्रमण्यम ने बताया।

उर्वरक की कीमत खुले बाजार में 200 रुपये है, वहीं इफको 130 रुपये में किसानों को उर्वरक मुहैया करता है। लगभग 15 टन उर्वरक का ऐसे क्षेत्रों में वितरण किया जाता है जहां तेज बारिश ने दालों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया है।

 

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