सहकारी बैंकों और शहरी सहकारी बैंकों, केंद्रीय कैबिनेट के प्रस्ताव से उत्साहित नहीं है। सरकार की योजना “2022 तक सभी के लिए आवास” के प्रस्ताव से सहकारी बैंक नाखुश दिख रहें है।
सहकारी बैंकों की शीर्ष संस्था नेफ्सकाब के प्रबंध निदेशक श्री भीम सुब्रमनियम ने भारतीय सहकारिता से बातचीत में कहा कि सहकारी बैंक इस मिशन का हिस्सा बनाना चाहते हैं लेकिन बैंको के ऊपर लगी कुछ सीमाओं की वजह से वे इस अवसर का पूरा उपयोग नहीं कर पाएंगे।
राशि के संदर्भ में हम ऋण के रूप में दे सकते हैं और वह भी कुछ सीमित क्षेत्रों में ही अनुमति है, इन सीमाओं की वजह से हम खुलकर कार्य करने में सक्षम नहीं है, भीम ने कहा। यहां तक कि घर के नवीकरण के मामले में भी हम भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों से घिरे हुये है, उन्होंने कहा।
एमडी ने कहा कि आरबीआई ने साफ तौर पर कहा है कि सहकारी बैंकों की आवास क्षेत्र में सीमित भूमिका ही रहेगी।
पाठको को याद होगा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुयी बुधवार को केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक में मोदी ने “2022 तक सभी के लिये आवास” की योजना को मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव में संसाधन के रूप में भूमि का उपयोग करके निजी डेवलपर्स की भागीदारी के साथ स्लम निवासियों के लिये स्लम पुनर्वास की परिकल्पना की गई है।
इसका उद्देश्य क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी के माध्यम से कमजोर वर्ग के लोगों के लिये किफायती आवास को बढ़ावा देना है। इसके साथ-साथ इस योजना को सफल बनाने के लिये सहकारी बैंकों, शहरी सहकारी बैंकों, वाणिज्यिक बैंकों से समर्थन की मांग की गई है।