एनसीयूआई के अध्यक्ष डॉ चंद्र पाल सिंह यादव ने कहा कि एनसीयूआई क्षेत्र प्रोजेक्टों से जुड़ी अधिकारियों की समस्याओं को सरकार द्वारा जल्द सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने इस मामले में एनसीयूआई की भूमिका पर किये गये सवालों को सिरे से खारिज किया।
डॉ यादव ने भारतीय सहकारिता से बातचीत में कहा कि प्रोजेक्ट अधिकारी काफी लंबे समय से हमारे साथ जुड़े हुए है और हमारी सहानुभूति उनके साथ हैं, लेकिन हम इस स्थिति में नहीं है कि हम उनके लिए कुछ करे सके।
एनसीयूआई क्षेत्र प्रोजेक्ट स्टाफ दयनीय स्थिति में है, उनका मामला ऐसा है जिसमें नियुक्ति में फेरबदल किया गया था। पहले उन्हें वेतन और अन्य सुविधाओं के साथ सरकार के स्टाफ के रूप में शामिल किया गया, लेकिन 2007 में सरकार द्वारा उनकी शर्तों में मनमानी ढंग से संशोधन किया गया जिसके तहत उन्हें समेकित वेतन मिलने लगा।
कर्मचारियों की 3-4 श्रेणियां है जैसे क्षेत्र प्रोजेक्ट अधिकारी, महिला जुटाव, प्रशिक्षक आदि जिसमें सर्वोच्च अधिकारी प्रति माह 15 हजार रुपए समेकित वेतन से अधिक नहीं ले रहे हैं। वे एनसीयूआई का हिस्सा है क्योंकि क्षेत्र प्रोजेक्ट उन राज्य में शुरू किया गया है, जहां सहकारी आंदोलन अपेक्षाकृत कमजोर है।
वर्तमान में 45 प्रोजेक्ट संचालन में है, लगभग 150 कर्मचारी दूर-दराज क्षेत्रों में कार्यरत हैं, जैसे गंगटोक आदि, एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी डॉ दिनेश ने कहा कि क्षेत्र अधिकारियों ने शानदार काम किया है।
भारतीय सहकारिता को खबर है कि शासी परिषद उनकी स्थिति में सुधार लाने के बारे में अनिच्छुक है क्योंकि कई सदस्यों का मानना है कि इन लोगों की नियुक्ति उचित तरीके से नहीं हुई थी।
ज्योतिन्द्र भाई मेहता, जो एनसीयूआई की बोर्ड में सरकारी नॉमिनी के रूप में शामिल हुये है, ने भी प्रोजेक्ट अधिकारियों की अभी मदद करने से साफ इनकार कर दिया है। भारतीय सहकारिता से बातचीत में मेहता ने कहा कि'' मैं उनके मामले का अध्ययन करना चाहता हूं लेकिन मंत्रालय के गलियारे में भी अतीत से उनके अपारदर्शी भर्ती के बारे में चर्चा है।''