केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री मोहनभाई कुंदरिया इन दिनों काफी व्यस्त है क्योंकि वे आजकल नैफेड को पुनर्जीवित करने के लिए विशेषज्ञों की राय मांग रहे है। गौरतलब है कि कृषि सहकारी को पुनर्जीवित करने के लिए अभी तक सभी प्रयास असफल रहे है।
भारतीय सहकारिता से बातचीत में कुंदरिया ने कहा कि नैफेड का कारोबार देश-भर में फैले हुआ है और नैफेड को पुनर्जीवित करने के लिए उसकी संपत्ति को बेचने की बात इन दिनों मंत्रालय के गलियारों में तुल पकड़ती जा रही है।
अभी सहकारी संस्था की वित्तीय स्थिति काफी खराब है क्योंकि उस बैंक का कर्ज चुकाना है। उसे पुनर्जीवित करने के लिए कम से कम 1300 करोड़ रुपये की तत्काल आवश्यकता है। मोदी सरकार नैफेड को निधि सहायता देने में इच्छुक नहीं लग रही है, कुंदरिया की बातों से पता चला।
कृषि सहकारी की संपत्तियों को बेचकर पैसों का विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। हमने हाल ही में निर्वाचित बोर्ड के साथ बातचीत की लेकिन बोर्ड को जिम्मेदारी से पैसा खर्च करना होगा, कुंदरिया ने संवाददाता से कहा।
पाठकों को याद होगा कि एनडीए सरकार के आगमन से नैफेड को पुनरुद्धार करने की आशा बढ़ गई है, जिसका जिक्र अतीत में भारतीय सहकारिता द्वारा प्रकाशित एक खबर में किया गया था। कई बैंको ने तो कहा है कि वे ऋण का 40 फीसदी त्यागने को तैयार है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो 2000 करोड़ रुपये की ऋण राशि को 1200 करोड़ रुपये में तय किया जाएगा।
सरकारी नॉमिनी अशोक ठाकुर और बिजेन्द्र सिंह के बीच में हुई हाल ही में झड़प के बाद से स्थिति में काफी सुधार आया था और दोनों पक्ष एक साथ मिलकर काम करने को तैयार थे।
नैफेड की बोर्ड ने पिछले साल कुंदरिया की घोषणा से पूर्व नैफेड की परिसंपत्तियों को बेचने का फैसला लिया था। नैफेड ने दिल्ली के पॉश इलाके में स्थित एक घर को बेच भी दिया है। वहीं दिल्ली के लॉरेंस रोड की प्रॉपर्टी और आश्रम चौक पर स्थित प्रतिष्ठित नैफेड टॉवर की संपत्ति को बेचे जाने के बारे चर्चा में है।
नैफेड को अजीत सिंह की अध्यक्षता में टाई-आप व्यापार से 4000 करोड़ रुपये से अधिक की हानि हुई थी और नैफेड इसे पुनर्जीवित करने के लिये हर संभव प्रयास कर रहा है।