बीज इंडस्ट्री कपास के बीजों की कीमतों को पूरी तरह रेग्युलेट करने के पक्ष में है। नेशनल सीड एसोसिएशन ऑफ इंडिया कीमतों पर नियंत्रण के लिए दिल्ली हाईकोर्ट जाने की भी योजना बना ली है।
एसोसिएशन महायको-मोन्सेंटो लिमिटेड यानी एमएमबीएल की उस याचिका का विरोध कर रही है, जिसमें कंपनी ने अपील की है कि सरकार तकनीक मुहैया करने वालों द्वारा ली जाने वाली रॉयल्टी या फीस को रेग्युलेट न करें। एमएमबीएल अमेरिकी बायोटेक कंपनी मोन्सेंटों का ज्वाइंट वेंचर है।
कृषि मंत्रालय ने 7 दिसंबर को कॉटन सीड प्राइस कंट्रोल ऑर्डर दिया था जिसमें मार्च से कपास बीजों की सभी वैरायटी पर यूनिफार्म मैक्सिमम रिटेल प्राइस तय करने का निर्देश था। इन वैरायटी में जीएम वैरायटी भी शामिल की गई हैं। इसके साथ ही बीजों की कीमतों पर लाइसेंस फीस जिसमें रॉयल्टी और ट्रेट वैल्यू शामिल हैं, भी रेग्युलेट करने की बात है।
19 दिसंबर को एमएमबीएल ने दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका देकर इस आदेश को चुनौती दी थी। अब नेशनल सीड एसोसिएशन ऑफ इंडिया इस मामने में ‘पार्टी’ के तौर पर जुड़ना चाहती है। एसोसिएशन कपास के बीजों की कीमतों को पूरी तरह से रेग्युलेट करने के पक्ष में है।
एनएसएआई के अध्यक्ष एम प्रभाकर राव ने कहा कि एसोसिएशन इस मामले में जल्द दिल्ली हाईकोर्ट में अपील करेगी। उनके मुताबिक अगर सरकार बीटी कॉटन बीजों की कीमतों को रेग्युलेट करती है तो ट्रेट फीस को भी रेग्युलेट करना होगा। उनके मुताबिक बीज कीमतों पर आंशिक रेग्युलेशन से घरेलू बीज इंडस्ट्री को नुकसान होगा।
सौजन्य : मनी भास्कर