रुपया सहकारी बैंक की बोर्ड ने बैंक को पुनर्जीवित करने के लिए कर्मचारियों की वेतन और संख्या में भारी कटौती करने का निर्णय लिया है।
पुणे में आयोजित एक प्रेस सम्मेलन के दौरान बोर्ड के अध्यक्ष मुकुंद अभ्यंकर ने कहा कि कर्मचारियों की वेतन में 50 प्रतिशत और संख्या में 60 प्रतिशत कटौती करने की जरूरत है।
इससे पहले, राज्य सरकार द्वारा नियुक्त बोर्ड ने बैंक में सक्रिय तीन कर्मचारियों यूनियनों के साथ बातचीत करने की कोशिश की थी। 2013 में बैंक के कुल कर्मचारी 902 थे। करीब 205 कर्मचारी ने व्यवस्थापक द्वारा शुरू की गई स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) का लाभ उठाया था। बैंक कर्मचारियों की वेतन पर सलाना खर्च 31.25 करोड़ रुपए का है।
अभ्यंकर द्वारा निमंत्रण पत्र के अनुसार, जब से बैंक का कामकाज बंद है तब से कोई कमाई नहीं हुई और समझौते पेपर को संशोधित करने की तत्काल आवश्यकता है।
अभ्यंकर ने कहा कि आरबीआई और राज्य सरकार लगातार कर्मचारियों के भत्ते पर खर्च में कटौती करने की आवश्यकता को याद दिला रही है।
इस मुद्दे पर मौजूदा बोर्ड ने तीनों कर्मचारियों यूनियनों को 20 दिसंबर 2015 को नोटिस जारी किया था। रुपया बैंक की राज्य में 40 से अधिक शाखाएं है। कर्मचारियों यूनियनों की प्रतिक्रिया अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है और बैंक का भविष्य उन पर निर्भर है।