सहकार भारती ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं और नरेंद्र मोदी कैबिनेट के तीन महत्वपूर्ण मंत्रियों का साथ एक हाई प्रोफाइल बैठक में भाग लिया। चार घंटे तक चली बैठक में 2016 के केंद्रीय बजट और सहकारी समितियों की भूमिका पर चर्चा हुई।
मंत्रियों में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, कोयला मंत्री पीयूष गोयल और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान शामिल थे। यह तीन मंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत भारत के सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
बैठक में सहकार भारती के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता, महासचिव प्रोफेसर.उदय जोशी और नेफ्कॉब के सलाहकार जी कृष्णा ने भाग लिया। गौरतलब है कि इससे पहले कृष्णा नेफ्कॉब के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे और उन्हें शहरी सहकारी बैंकों से जुड़े मुद्दा का विशेषज्ञ माना जाता है।
कृष्णा का टीम में शामिल किए जाने पर सहकार भारती के अध्यक्ष ज्योतिंद्र भाई ने कहा कि “मैं उन्हें साथ लेकर गया था क्योंकि वे काफी अनुभवी व्यक्ति है”।
मेहता के नेतृत्व में सहकारी नेताओं का मानना है कि विकास की प्रक्रिया में सहकारी समितियों की अधिक से अधिक भागीदारी की जरूरत है।
मेहता ने बैठक में 80 पी को सहकारिता से हटाने के साथ-साथ आर.बी.आई की हाई पार्वड कमेटी की सिफारिशों को वापस लेने की बात कही।
बैठक का आयोजन केंद्रीय मंत्री अरुण जेतली के आवास पर हुआ। जहां आरएसएस के अलावा अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
भारतीय सहकारिता से बातचीत में सहकारी नेताओं ने सहकारी क्षेत्र को महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में स्वीकृत दिलाने पर सहकार भारती को धन्यवाद दिया।
मेहता ने कहा कि पहले फिक्की और चैंबर ऑफ कॉमर्स को आमंत्रित किया गया था। यह एक अच्छी शुरुआत है और उम्मीद है कि सरकार सहकारी क्षेत्र की लंबे समय से लंबित मांगों को जल्द ही संबोधित करेंगी।