देश में लगातार दो वर्ष बहुत कम वर्षा हुई हैं, के बारे में बताते हुए केन्द्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने कहा की स्थि ति की गंभीरता को समझते हुए अप्रैल, 2015 में भारतीय मौसम विभाग द्वारा मानसून के बार में की गई भविष्यअवाणियों के फौरन बाद भारत सरकार ने राज्यभ सरकारों के सहयोग से सूखे के प्रभाव को कम करने के प्रयोजनार्थ तेजी के साथ एक बहुआयामी कार्यक्रम शुरू किया।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज्य कृषि विश्वरविद्यालयों, राज्य सरकारों, कृषि विज्ञान केंद्रों एवं कृषि अनुसन्धान परिषदों के सहयोग से केंद्रीय अनुसंधान कृषि शुष्का भूमि संस्थान (सीआरआईडीए) ने कृषि संबंधी उत्पा दन को कायम रखने के लिए स्थाकन विशिष्ट योजनाओं को कार्यान्विषत करने के प्रयोजनार्थ 600 जिलों के लिए एक आकस्मिककता योजना बनाई गई, पीआईबी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार।
राज्यप सरकारों के साथ साप्ताोहिक वीडियो कांफ्रेंस के जरिए वर्षा की किस्मोंो, बीजों की आपूर्ति, सूखें के प्रभाव और अन्ये संबंधित समस्याडओं पर विचार विमर्श किया गया।
फसल मौसम निगरानी समूह की भी साप्तासहिक बैठकें की गई। सूखा प्रतिरोधक बीजों और कम पानी द्वारा सघन फसलों से संबंधित बीजों की पर्याप्ते मात्रा उपलब्धो कराई गई।
राज्योंव ने मृदा और नमी संरक्षण, सूक्ष्मा सिंचाई और भू-जल रिचार्ज जैसे विभिन्नी कदम उठाए। दो लगातार सूखाग्रस्तृ वर्षों के बावजूद इन प्रयासों से यह सुनिश्चिचत हुआ कि देश में समग्र कृषि उत्पासदन पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है। परिणामतः 2014-15 की तुलना में 2015-16 में ज्यादा सूखा होने के बावजूद द्वितीय अग्रिम अनुमान के अनुसार ज्यादा उत्पादन अनुमानित है।