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नीली क्रांति सहकारी समितियों के माध्यम से ही संभव : उप प्रबंध निदेशक एनसीडीसी

एनसीडीसी के उप प्रबंध निदेशक डी.एन.ठाकुर ने कहा कि देश में नीली क्रांति केवल सहकारी समितियों के माध्यम से संभव हो सकती है। उन्होंने बुधवार को दिल्ली में आयोजित एक सहकारी संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा।

उन्होंने कहा कि अतीत में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति केवल सहकारी आंदोलन के हस्तक्षेप से ही संभव हुई है। मुझे कोई संदेह नहीं है कि मछली उत्पादन में वृद्धि करना सहकारी संरचनाओं के समर्थन से संभव है, ठाकुर ने कहा।

गौरतलब है कि फिशकोफॉड ने अपनी वार्षिक आम बैठक के अवसर पर एनडीए सरकार की परियोजना “नीली क्रांति” पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया था।

इस मुद्दे पर मत्स्य सहकारी संस्थाओं की शीर्ष संस्था ने दिग्गज सहकारी प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर एनसीडीसी के उप प्रबंध निदेशक, एनसीयूआई के सीई एन.सत्यानारयण, श्रम सहकारी की प्रबंध निदेशक प्रतिभा अहुजा और संस्था के अध्यक्ष टी.राव डोरा उपस्थित थे।

इससे पहले बी.के.मिश्रा, एमडी, फिशकोफॉड ने देश में मछली उत्पादन की स्थिति पर एक प्रस्तुत पेश की थी। उनकी संपूर्ण प्रस्तुत प्रतिभागियों को समझाने के लिए पर्याप्त थी।

मिश्रा ने कहा कि हमारे पास 2 मोबाइल मछली वैन है लेकिन इसे 20 से अधिक बढ़ाने का इरादा है। हमारे पास अभी तक चार मछली दुकान हैं लेकिन हम इसकी संख्या को वृद्धि करने का इरादा रखते है।

उन्होंने मत्स्य सहकारी समितियों से आए प्रतिनिधियों से मछली की दवा सीफेक्स का प्रचार और बेचने का आग्रह किया। राज्य सरकारें फिशकोफॉड की मदद कर रही है लेकिन केंद्र सरकार हमारी कोई मदद नही कर रही है।

संस्था को लाभदायक बनाने के लिए हम बर्फ संयंत्र, एक्वा क्लिनिक और कई अन्य की स्थापना करेंगे। हम सितंबर में गुवाहाटी में देश की पहली एक्वा दुकान का उद्घाटन करेंगे और यह राज्य के कृषि मंत्री द्वारा उद्घाटन किए जाने की संभावना है, उन्होंने बताया।

इस अवसर पर फिशकोफॉड के अध्यक्ष टी.प्रसाद राव डोरा ने कहा कि मत्स्य सहकारी समिति नीली क्रांति में अहम भूमिका निभा सकती है। हमें नीचले स्तर की मत्स्य सहकारी समितियों को मजबूत करने की जरूरत है।

सहकारी संस्थाओं की शीर्ष संस्था एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी एन.सत्यनारयण ने कहा कि हमें इंनलैंड मछलीयों का अधिक से अधिक उत्पादन करना चाहिए। एनसीयूआई की पहल को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी संस्था मछुवारों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है लेकिन सरकार की मदद के बिना मत्स्य क्षेत्र का विकास असंभव है।

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