सहकारी बैंकों को पैक्स समितियों को प्रौद्योगिकी मंच पर लाने की दिशा में और तेजी लानी चाहिए और रूपे क्रेडिट कार्ड की सुविधा को अपनाने की जरूरत है। व्यावसायिकता में कमी और खराब प्रबंधन की वजह से सहकारी समितियों आगे नहीं बढ़ रही हैं, नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ एच.के.भानवाल ने नेफस्कॉब द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी “कृषि ऋण में सहकारी समितियों की हिस्सेदारी बढाने के लिए रोडमैप” विषय पर बोलते हुए सोमवार को मुंबई में कहा।
जिला केंद्रीय सहकारी बैंक और राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने घोषणा कि की जो लाभ किसानों को फसल ऋण पर दिए जा रहे थे, उनमें संशोधन किया जाएगा।
इसके अलावा नेफस्कॉब अध्यक्ष दिलीपभाई संघानी और उसके एमडी भीमा सुब्रमण्यम, डॉ आशीष भूटानी, केंद्रीय रजिस्ट्रार इस अवसर पर उपस्थित थे। कई अन्य सहकारी नेताओं में पूर्व अध्यक्ष बिजेन्द्र सिंह, एनसीयूआई मुख्य कार्यकारी अधिकारी एन.सत्यनारायण ने भी शिरकत की।
भूटानी ने सहकारी समितियों में पेशेवर दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया।
नाबार्ड के उप प्रबंध निदेशक एच.आर.दवे ने सहकारी बैंकों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया की कि रुपे डेबिट कार्ड के वितरण करने के लक्ष्य को 31 मार्च तक खत्म किया जाए। उन्होंने आश्वासन दिया कि नाबार्ड सहकारी बैंकों को तकनीकी रुप से उभरने में मदद करेगा।
दिलीपभाई संघानी ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया और कहा कि हम बैंकिंग गतिविधियों में तकनीकी जल्द से जल्द अपनाएंगे। उन्होंने किसानों की आय को कैसे सुरक्षित किया जाए उस पर भी जोर दिया।