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MSCB: काले कारनामों का भंडाफोड़

राकांपा और कांग्रेस के बीच युद्ध का अगला चरण आरम्भ हो गया है क्योंकि दोनों पार्टी के नेता एक दूसरे के खिलाफ खुल कर बोलने लगे हैं.  राकांपा की स्थापना दिवस के समारोह के अवसर पर श्री अजीत पवार ने खुले तौर पर कांग्रेसी नेताओं के नाम लिए जो MSCB से लाभान्वित हुए हैं.

अमरीश पटेल और पी. के.अन्ना पाटिल के स्वामित्व वाली दो मिलों पर बैंक का 380 करोड़ रुपए बकाया है और वे सबसे बड़े बकाएदारों में से थे, श्री पवार ने कहा.

राकांपा की तुलना कांग्रेस के साथ करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने चीनी मिलों को औने-पौने दामों पर बेच दिया जबकि राकांपा द्वारा बेची गई मिलें ठीक-ठाक काम कर रहीं हैं.  श्री पवार ने कहा कि सरकार ने बीमार चीनी सहकारी कारखानों को बहुत कम दरों पर बेच दिया था और कुछ मामलों में खरीदारों से पूरी राशि भी नहीं वसूली गई. खरीदारों में से एक पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे.  दूसरी तरफ एमएससी बैंक ने चीनी कारखानों को अधिक उच्च दर पर बेचा था.

इस बीच, नाबार्ड की रिपोर्ट ने एक बहुत ही निराशाजनक तस्वीर पेश की है. रिपोर्ट के अनुसार MSCB का लाइसेंस रद्द किया जाता है क्योंकि यह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित 4% सीआरएआर बनाए रखने में असमर्थ रहा है.  बैंक ने यदि इमानदारी से IRAC के अनुसार अपेक्षित प्रावधान किया होता तो इसे वर्ष 2008-09 में १७७८.२ लाख रुपये के लाभ की जगह १०१४ लाख रुपए का नुकसान सहना पड़ा होता.

अपनी ओर से अजित पवार का कहना है कि MSCB के प्रमुख का चुनाव बहुत मशक्कत से हुआ था.  वह पेशे से एक इंजीनियर हैं.  आने वाले दिनों में दो सत्तारूढ़ सहयोगियों के बीच अधिक गतिरोध की उम्मीद की जा सकती है क्योंकि MSCB का भूत गायब होने का नाम ही नहीं ले रहा.

 

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