क्या होता है जब सरकार सहकारी क्षेत्र पर विश्वास रखती है, इसका पता महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र की घटना से किया जा सकता है। महा ऑरेंज नामक कंपनी की दो प्रसंस्करण इकाई मोर्शी और करणजा जो काफी वक्त से बंद थी उसे एक बार फिर सक्षम बनाया गया है।
अगर केंद्र में नितिन गडकरी थे तो राज्य में चंद्रकांत पाटिल थे, जिन्होंने ऑरेंज उत्पादकों के हित में सहकारी संस्था को पुनर्जिवित करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने सहकारी निकायों को सभी संबधित सहायता देने को कहा था।
दो संयंत्र जो केवल 20 और 8 वर्षों से बंद थे, वे न केवल मुंबई और बेंगलूर के मॉलों में अपूर्ति करते है बल्कि बांगलादेश और ईरान में भी अपने उत्पादों का निर्यात करते है।
सूत्रों का कहना है कि इन पुनरुद्धित इकाइयों की वजह से किसानों का सहकारिता पर विश्वास बढा है और अपने उत्पाद को उच्च मूल्य पर बेचना शुरू कर दिया है।
लेकिन यह आसान नहीं था। “हमें भी किसानों के प्रति विश्वास को बनाया रखना है और उनके उत्पादों को व्यापारियों या मध्यस्थों के बजाय उन्हें बेहतर मूल्य मिल सके इसके लिए सुनिश्चित करना है, एक निदेशक ने कहा।
सहकारी संस्था ने किसानों को उनके उत्पादन का अच्छा मूल्य देने का निर्णय लिया है। एक निदेशक ने दावा किया कि उनको जो कुछ हासिल हुआ है पहले की तुलना में उन्हें अधिक मूल्य मिला है।