आयकर विभाग द्वारा जारी सुमुल डेयरी से जुड़ी कई सहकारी मंडलियों को नोटिस के बाद गुजरात सरकार और डेयरी सहकारी नेताओं के बीच लड़ाई की स्थित उत्पन्न हो गई है।
गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ की 17 जिला महसंघों में से सुमुल एक है।
सुमुल डेयरी के अध्यक्ष राजेश कुमार कांतिलाल पाठक ने कहा कि “इस मुद्दे पर सुमुल डेयरी लड़ाई लड़ेगी और मंडलियों से एक पैसा लिए बिना सभी खर्च का वहन करेगी”, उन्होंने भारतीय सहकारिता के संवाददाता को बताया।
पाठक ने आगे कहा कि आयकर विभाग द्वारा दुग्ध सहकारी मंडलियों को जारी नोटिस अनुचित है जो सुमुल के माध्यम से लाखों लोगों को दुग्ध की अपूर्ति करती है। “हम गुजरात उच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रहे है”, पाठक ने कहा।
पाठक ने कहा कि “जब मनूभाई ए.पटेल 2004 में सुमुल के अध्यक्ष थे तब आयकर विभाग ने एक ऐसा ही नोटिस सुमुल डेयरी को भेजा था। तब हम गुजरात हाई कोर्ट गए थे और कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया था”।
सूरत और तापी जिले में करीब 1200 सहकारी दूध मंडलियां है जो सुमुल को दूध की आपूर्ति करती हैं। 2 लाख से अधिक दूध किसान इसके सदस्य हैं।
पाठकों को याद होगा कि आयकर विभाग ने करीब सात दूध मंडलियों को नोटिस जारी किया था।
बताया जा रहा है कि जिन मंडलियों को नोटिस दिया गया है वह सुमुल को प्रतिदिन 1.5 लाख लीटर दूध की आपूर्ति कर रहे हैं।
सुमुल डेयरी तापी और सूरत से करीब 15 लाख लीटर दुग्ध खरीद रहा है और प्रतिदिन 11 लाख लीटर की बिक्री करती है।