थर्ड सेक्टर रिसर्च रिसोर्स सेंटर, कर्नाटक स्टेट शोदहर्य कॉपरेटिव और एनसीयूआई ने मिलकर कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के लोगों के लिए हाल ही में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें भारत के साथ-साथ विदेश से आए कई प्रतिभागियों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन मैसूर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सी बसवराजु ने किया। अपने संबोधन में बसवराजु ने सहकारिता की प्रासंगिकता पर बल दिया और बताया कि एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने में सदस्यों और ग्राहकों दोनों कैसी भूमिका निभा सकते हैं।
बसवराजु ने यह भी कहा कि सहकारी समितियां दुनिया भर में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और एक अनुमान के मुताबिक दुनिया की करीब आधी आबादी की आजीविका सहकारी उद्यमों द्वारा सुरक्षित की जा रही है। गरीबी को कम करना, रोजगार सृजन और सतत विकास के क्षेत्र में सहकारी समितियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने भारत के सहकारी आंदोलन की तुलना डेनमार्क, जर्मनी, ईरान, जापान आदि के साथ की।
भारत और विदेश से लगभग 35 प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मानव विकास के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सतत विकास को प्राप्त करना था।
इस मौके पर प्रोफेसर यशवंत डोंगरे, समन्वयक, टीएसआरआरसी, यूओएम और केरल इंस्टीट्यूट ऑफ को-ऑपरेटिव मैनेजमेंट के निदेशक प्रो टी परंजोथि, एनसीयूआई के उप निदेशक डा ए आर श्रीनाथ मंच पर आसीन थे।
प्रो टी परंजोथी ने अपने संबोधन में सतत विकास के लिए सहकारी समितियों की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने विभिन्न उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे सहकारी समितियां सतत विकास को पाने के लिए अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को डाइवरसिफाई कर सकती है।
उन्होंने इस मौके पर एनसीयूआई की भूमिका को भी रेखांकित किया और कहा कि सहकारी ट्रेनिंग में उच्च मानकों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
इनके अलावा, विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों और अनुसंधान विद्वानों ने एक दूसरे के साथ विचार-विमर्श किया। इसके बाद प्रतिभागियों को सतत विकास के बारे में चर्चा करने के लिए 17 भागों में विभाजित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को ग्रेजुएट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कर्नाटक इंस्टीट्यूट ऑफ को-ऑपरेटिव मैनेजमेंट और महिला सहकारी बैंक लिमिटेड का दौरा कराया गया।
कार्यक्रम को यशवीथ डोंगरे ने सफलतापूर्वक समन्वित किया।