अहमदाबाद मिरर की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात उच्च न्यायालय ने विपुल चौधरी से 42 करोड़ रुपये वसूलने पर राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ विपुल की अपील को खारिज कर दिया है।
पाठकों को याद होगा कि मेहसाणा जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ में कथित अनियमितताओं के चलते राज्य सरकार ने चौधरी के खिलाफ कार्रवाई की है। इन मुद्दों पर अतीत में भारतीय सहकारिता ने कई लेख प्रकाशित किये थें।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से विपुल चौधरी को डेयरी के अध्यक्ष के रूप में पद छोड़ना पड़ा था। इतना ही नहीं उन्हें सहकारी समिति का चुनाव लड़ने से भी रोका गया था। चौधरी पर आरोप है कि उन्होंने डेयरी फंड से 42 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है।