उत्तर प्रदेश के सहकारी चुनाव पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए एनसीयूआई के अध्यक्ष और झांसी से दिग्गज सहकारी नेता चंद्रपाल सिंह यादव ने कहा कि भाजपा स्थानीय प्रशासन और गुंडों के दम पर सहकारिता चुनाव जीतने की कोशिश में लगी रही लेकिन इसके बाद भी हम लोग सफल रहे।
सहकारिता चुनाव को जीतने में तमाम हथकंडे अपनाने के बावजूद भी प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों की 70 प्रतिशत से अधिक सहकारी संस्थान समाजवादी पार्टी के पाले में गए हैं, यादव ने सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से चुनाव में मनमानी करने के कई उदाहरण देते हुए कहा।
इस बीच, हाल ही में लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने दावा किया कि भाजपा ने राज्य की करीब 95 प्रतिशत सहकारी समितियों में जीत हासिल की है। वर्मा ने यह भी दावा किया कि राज्य में 37 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक जिनमें से 34 बैंकों का चुनाव हुआ जहां भाजपा उम्मीदवारों को निर्विरोध चुना गया।
“49 जिला सहकारी संघों में से भाजपा ने 40 संघों पर जीत हासिल की है। आठ संघ का चुनाव स्थागित किया गया है और भाजपा का केंद्रीय उपभोक्ता भंडार चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन रहा है”, वर्मा ने पत्रकारों को बताया।
भाजपा की तथाकथित जीत की व्याख्या करते हुए चंद्रपाल ने कहा कि भाजपा ने सहकारी समितियों की सत्ता पर कब्जा करने के लिए कानून को ताक पर रखकर काम किया है। “ऐसे कई उदाहरण हैं जब डिफॉल्टर सहकारी समितियों को अपने सदस्य को उच्च स्तरीय सहकारी समिति पर नामांकित करने की इजाजत दी गई जबकि नियम पालन करने वाली सहकारी समिति को अपने नामांकित व्यक्ति को आगे आने नहीं दिया गया, यह कहां का न्याय है, चंद्रपाल ने पूछा।
जानकारों का कहना है कि चंद्रपाल को स्वंय भी झांसी में चुनाव के दौरान कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इससे पहले इफको के निदेशक शिशपाल सिंह यादव ने हापुड़ क्षेत्र में भाजपा के रवैया के बारे में बताया था। “राज्य के कई क्षेत्रों में कुछ ऐसा ही हुआ है”, चंद्रपाल ने कहा।
समाजवादी पार्टी से जुड़े लोगों ने बताया कि सत्तारूढ़ दल ने नियोजित तरीके से उम्मीदवारों को बिना किसी वजह से नामांकन दाखिल करने से रोका। कई मामलों में तो भाजपा ने उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से रोकने के लिए राज्य पुलिस का भी सहारा लिया था और कई उम्मीदवार इसके चलते जिला मजिस्ट्रेटों को याचिका देकर ही नामांकन दाखिल कर पाए थे।
पाठकों को याद होगा कि राज्य में 50 हजार से अधिक पंजीकृत सहकारी समितियां है। पैक्स, जिला सहकारी संघों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों का चुनाव हाल ही में समाप्त हुआ है।
अब राज्य सहकारी संघों की शीर्ष संस्था जैसे पीसीएफ, श्रम सहकारी समिति, उपभोक्ता सहकारी संघ का चुनाव एजेंडे पर है।