भारतीय रिजर्व बैंक की बुधवार को आयोजित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में अन्य विषयों के अलावा, अर्बन कॉपरेटिव बैंकों को स्मॉल फाइनेंस बैंक में रूपांतरण करने पर आर.गांधी समिति की सिफारिशों पर भी मोहर लगाई गई।
इस बैठक में आर गांधी समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए, अर्बन कॉपरेटिव बैंकों को स्मॉल फाइनेंस बैंक में तबदील होने की अनुमित दे दी गई है। एक प्रेस रीलिज में कहा गया कि अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को स्माल फाइनेंस बैंक में बदलने से संबंधित एक विस्तृत स्कीम बाद में पेश की जाएगी।
आरबीआई ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि ‘तत्कालीन डिप्टी गवर्नर आर गांधी की अध्यक्षता में यूसीबी पर बनी एक हाई पावर्ड कमेटी ने ऐसे बड़े मल्टी-स्टेट यूसीबी को स्वेच्छा से स्माल फाइनेंस बैंकों में अपने को तब्दील करने की अनुमति देने की सिफारिश की थी, जो जरूरी शर्तों को पूरा करती हों।“
पाठकों को याद होगा कि सहकारी क्षेत्र से जुड़े नेतागण कुछ साल पहले बहुत गुस्से में थे जब आरबीआई ने अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को जायंट स्टॉक कंपनियों मे रूपांतरित का मुद्दा उठाया था। इस विषय को सहकारी नेताओं ने केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के पास उठाया था।
पटना में एनसीयूआई अध्यक्ष द्वारा इस मुद्दे को उठाने के बाद राधा मोहन सिंह ने बताया था कि उनके मंत्रालय ने अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के रूपांतरण पर गांधी पैनल की सिफारिशों को खारिज कर दिया है। “जैसे ही इस विषय से जुड़ी फाइल मेरे टेबल पर आई तो मैंने फाइल को अस्वीकृत किया था। सहकारी आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास तबतक सफल नहीं होगा जब तक मैं और नरेंद्र मोदी जी हैं कुर्सी पर हैं”, राधा मोहन ने कहा था।
सहकारी नेताओं का मानना है कि सहकारिता और विशेष रूप से अर्बन कॉपरेटिव बैंकों को अपनी पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दी जानी चाहिए और उनकी आकांक्षओं पर प्रतिबंध लगाए जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
यूसीबी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे कई गतिविधयों में भाग नहीं ले सकते जैसे सड़क निर्माण, बैंक गारंटी आदि।
इस क्षेत्र की समस्या को संबोधित करने के बजाय आरबीआई सहकारी समितियों को नष्ट करने में तुली हुई है, सहकारी नेताओं ने भारतीय सहकारिता को बताया। उन्होंने राधा मोहन सिंह द्वारा किए गए वादे को भी झूठा बताया।