आमतौर पर माना जाता है कि पंजाब में सहकारी आंदोलन मजबूत है लेकिन हाल में जारी रिपोर्ट ने इस दावे को गलत ठहराया है। राज्य के सहकारिता मंत्री सुजिंदर सिंह रणधावा ने माना कि राज्य की लगभग साढ़े तीन हजार पैक्स समितियों में से 40 प्रतिशत समितियां घाटे में चल रही हैं।
पायनियर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पैक्स समितियों के प्रदर्शन से नाखुश रणधावा ने पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है जो पंजाब की पैक्स समितियों को सुधारने के लिए सुझाव देगी।
हालांकि रणधावा ने ग्रामीण लोगों के जीवन स्तर को बदलने में पैक्स समितियों की भूमिका की सराहना की। मंत्री ने कहा कि पैक्स समितियां किसानों के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
एक्सपर्ट का कहना है कि पैक्स समितियों को अन्य व्यावसाय जैसे कृषि सेवा केंद्र, किराने की दुकान, डीजल पंप, विपणन और स्व-सहायता समूहों में प्रेवश करना चाहिए।
इस बीच, मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पंजाब के सहकारिता विभाग को नये दिशा-निर्देश की वजह से गरीब किसानों को मैक्सिमम क्रेडिट लिमिट (एमसीएल) के तहत अल्पकालिक फसल ऋण लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों को इस बात की चिंता सता रही है कि इसके चलते उन्हें पारंपरिक ऋण देने वालों और वाणिज्यिक बैंकों पर निर्भर होना पडेगा। नए दिशा-निर्देश हाल ही में सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के कार्यालय से जारी किए गए थे।
इस बीच सहकारी अधिकारियों ने कहा कि नए दिशा-निर्देश के चलते भूमिहीन किसानों को अल्पकालिक फसल ऋण पर एमसीएल का लाभ उठाने में मदद मिेलेगी।