सहकारी ऋणदाता नेशनल कोआपरेटिव डेवलपमेंट कारपोरेशन ने चेन्नई में इंडियन कॉपरेटिव नेटवर्क फॉर वूमेन के सहयोग से “चेन्नई की महिला सहकारी समितियों को मजबूत बनाने” पर एक कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें इंडियन कॉपरेटिव नेटवर्क फॉर वूमेन का नेतृत्व करने वाली नंदिनी आजाद ने जोर शोर से हिस्सा लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए नंदिनी ने कहा कि सहकारी समितियों को मजबूत बनाने से देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। इसके माध्यम से विविध और बेहतर तरीके अपनाये जा सकते हैं जो महिलाओं को स्थायी नौकरियां देने में कारगार सिद्ध होंगी। पाठकों को बता दें कि नंदिनी आईसीए में भी सक्रिय हैं।
दक्षिण भारत में महिलाओं का एक बड़ा सहकारी नेटवर्क खड़ा करने का श्रेय नंदिनी आजाद और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की अध्यक्षा और पद्म अवार्डी जया अरुणाचलम को जाता है। अपने कामों के लिए मां-बेटी की इस जोड़ी को वैश्विक स्तर पर वाहवाही मिली है।
“ग्रामीण महिलाओं को सहकारी समितियों की मदद से उचित वेतन, कानूनी सुरक्षा और उत्पादक इनपुट जैसी समस्याओं से निजात मिल सकता है। बस सहकारी व्यापार मॉडल में पेशेवर तरीकों से काम करने की आवश्यकता है, आजाद ने जोर देकर कहा।
इस अवसर पर बोलते हुए एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार नायक ने कहा कि तमिलनाडु में महिला सहकारी समितियों की जबरदस्त उपस्थिति है और आगे भी एनसीडीसी उन्हें मजबूत बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी, नायक ने कहा।
डी एन ठाकुर, उप- प्रबंध निदेशक, एनसीडीसी ने भी आईसीएनएफ का दौरा किया और पदाधिकारी और कर्मचारियों से मुलाकात की और सहकारी समितियों के भविष्य पर चर्चा की। ठाकुर ने कहा कि महिलाएं जब एकजुट हो जाती हैं तो वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं।
इस कार्यशाला का आयोजन नेटसान इंस्टीट्यूट ऑफ कोऑपरेटिव मैनेजमेंट, चेन्नई, में किया गया था। इस मौके पर बोलते हुए आईसीएनएफ की अध्यक्षा नंदिनी आजाद ने सरकार से महिला सहकारिता में विश्वास और निवेश का आग्रह भी किया।
आजाद ने इस मौके पर कई मुद्दे उठाएं जैसे कि कैसे सहकारी संस्थाएं लैंगिक समानता को बढ़ावा दे सकती हैं और कैसे महिला सहकारी समितियां सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकती हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को संदर्भित किया और कहा कि लिंग समानता महिलाओं के लिए एक मौलिक अधिकार है क्योंकि यह एक शांतिपूर्ण और समृद्ध दुनिया की ओर ले जाता है।