एनसीसीई ने हाल ही में भारतीय विश्विद्यालयों के संकाय सदस्यों के लिए एक रिफ्रेशर कोर्स का आयोजन किया था। इसका उद्घाटन करते हुए एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी ने कहा कि, “कृषि सहकारी समितियों का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं बल्कि अपने सदस्यों को नि:स्वार्थ और ईमानदारी से सेवाएं प्रदान करना है। यह समितियां किसानों की विपणन से जुड़ी समस्याएं, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मूल्य निर्धारण जैसे कई समस्याओं को हल करने में मदद कर सकती हैं।
नेशनल सेंटर फॉर कॉपरेटिव एजूकेशन ने हाल ही में इसका आयोजन दिल्ली में किया। इस कोर्स के माध्यम से संकाय सदस्यों, शोध विद्वानों को सहकारी क्षेत्र पर अपने ज्ञान को बढ़ाने का अवसर प्रदान किया गया। इस कार्यक्रम में 28 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
अपने उद्बोधन में कुमार मंगलम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के.के.अग्रवाल ने सभी क्षेत्रों में सहकारिता की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने सहकारी समितियों की छवि को नवीनीकृत करने को कहा और सुझाव दिया कि वित्तीय मामलों में पारदर्शिता लाकर इसको हासिल किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि सहकारी समितियों के पास बदलाव की क्षमता है।
पाठ्यक्रम के दौरान आयोजित विभिन्न सत्रों में बोलते हुए, विशेषज्ञों ने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सहकारी क्षेत्र द्वारा परिवर्तन किये जाने की असीम संभावनाओं पर चर्चा की। उन्होंने देश के सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों को भी रेखांकित किया।
इस अवसर पर सुश्री अनीता चौधरी ने इफको के बारे में बताया। उनके मुताबिक, इफको ने स्थापना के बाद से लगातार अपने काम काज में पारदर्शिता, लोकतांत्रिक और व्यावसायिक सिद्धांतों का पालन किया है। इफको ने एक मजबूत सहकारी समिति के रूप में अपनी पहचान बनाई है और सहकारी सिद्धांतों को बनाए रखने का प्रसाय कर रही है।
एक अन्य सत्र में डिप्टी निदेशक एनसीयूआई संजय वर्मा ने सहकारी समितियों में मीडिया की भूमिका पर एक व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों के कामकाज को उजागर करने के लिए मीडिया का सहारा लेने की अधिक जरूरी है। उन्होंने अकादमिक संकाय से छात्रों को सहकारी समितियों और मीडिया पर शोध करने के लिए प्रोत्साहित करने का आग्रह किया।