आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में एसईजेड विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए, सहकारी संस्था इफको के लीगल हेड आर पी सिंह ने कहा कि इफको का नाम बिना किसी बात के विवाद में घसीटा जा रहा है जबकि उर्वरक सहकारी संस्था किसी भी कानूनी लड़ाई में शामिल नहीं है। यह लड़ाई आंध्र सरकार के दो विभागों के बीच की है”, सिंह ने स्पष्ट किया।
पाठकों को याद होगा कि हैदराबाद उच्च न्यायालय की एक डिवीजन खंडपीठ ने आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एसईजेड) के नाम पर इफको सहित अन्य विभिन्न कंपनियों को भूमि आवंटित करने से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि पूरा मामला संदिग्ध लग रहा है और इससे करप्शन एक्ट के तहत निपटाने की जरूरत है।
दायर याचिकाओं में से एक याचिका पर आदेश देने के बाद, अदालत ने संबंधित अधिकारियों से कोडावलूर, दगढ़ड़ी और एलूर मंडलों के गांवों में इफको को आंवटित भूमि पर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
“यह लड़ाई राज्य सरकार के एंडॉवमेंट विभाग और राजस्व विभाग के बीच है। एंडॉवमेंट विभाग का कहना है कि भूमि मंदिर की है जबकि राजस्व विभाग कहता है कि यह उनकी भूमि है”, सिंह ने बताया।
“हमने 20 साल पहले इस जमीन की कीमत के रूप में 1.45 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया था। यह पैसा फिक्सड डिपोजिट के रूप में रखा गया था जिसका मूल्य आज 8 करोड़ रुपये हो गया है। यह स्पेशल जोन की भूमि है और हम कई परियोजनाओं के साथ आगे आ रहे हैं लेकिन चल रहे विवाद ने हमे दुविधा में डाल दिया है”, उन्होंने रेखांकित किया।
इफको ने भूमि के चारों और बाउंड्री करवाई हुई है और वहां कुछ आर्थिक गतिविधियां भी चल रही हैं। इन कारखानों में से एक पवन चक्की के ब्लेड का निर्माण करती है और दूसरी प्याज और मिर्च की कृषि प्रसंस्करण इकाई है।
“आपको सच बताऊ तो हमने कोका-कोला के साथ समझौता ज्ञापन किया था जो कि यहां बॉटलिंग संयंत्र स्थापित करना चाहती थी लेकिन कानूनी प्रक्रिया के चलते हम ऐसा नहीं कर पाए। हम सरकार से इस मुद्दे को हल करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं”, सिंह ने कहा।
पाठकों को याद होगा कि एक साल पहले कुछ याचिकाकर्ताओं ने भूमि सौदे में सीबीआई जांच के लिए याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि जिले में मंदिर से जुड़ी 2,776 एकड़ भूमि को यूरिया संयंत्र की स्थापना करने के लिए 1997 में इफको को आवंटित कर दिया गया था। उनका अारोप है कि प्रस्तावित संयंत्र में कोई प्रगति नहीं हुई है
मामले की सुनवाई के बाद, अदालत ने राज्य राजस्व अधिकारियों को जमीन आवंटन पर यथा-स्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है साथ ही अदालत ने इफको और बाकी कंपनियों को भी निर्देश दिया है कि जमीन पर दूसरों को अधिकार नहीं दिया जाए।