भारत सरकार से सेवा शुल्क न मिलने के बावजूद भी मत्स्य सहकारी समितियों की शीर्ष संस्था फिशकोफॉड अपने घाटे को काफी हद तक कम करने में सफल हुई है। वित्त वर्ष 2017-18 में सहकारी संस्था ने करीब 90 लाख तक अपने घाटे को कम किया है जो कि वित्त वर्ष 2016-17 में लगभग 1.2 करोड़ रुपये था। यह बात संस्था के प्रबंध निदेशक बी.के.मिश्रा ने एनसीयूआई में आयोजित अपनी 40वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए कही।
“मुझे यह घोषणा करते हुए भी प्रसन्नता हो रही है कि हम चालू वित्त वर्ष के अंत तक 60 लाख रुपये से अधिक का लाभ कमाने में सक्षम होंगे। लेकिन मैं एक बात से काफी निराश हूं कि केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के साथ कई बैठकों के बावजूद भी संघ पिछले छह वर्षों से अपने लंबित 2 करोड़ रुपये सेवा शुल्क पाने में विफल रहा है”, मिश्रा ने कहा।
हमने असम, ओडिशा और झारखंड समेत तीन राज्यों में 16 एक्वा शॉप की स्थापना के लिए नेशनल मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। मिश्रा ने अपने भाषण में कहा कि, “हम देश के विभिन्न हिस्सों में प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करेंगे।”
मत्स्य सहकारी संस्था की 40 वीं वार्षिक आम बैठक के अवसर पर बोलते हुए, फिशकोफॉड के अध्यक्ष ने कहा कि, “बीमा योजना को लागू करने के लिए भारत सरकार से सेवा शुल्क की प्राप्ति में असफलता के कारण, फिशकोफॉड को इस वर्ष भी घाटा हुआ है लेकिन मत्स्य सहकारी संस्था घाटे को कम करने में काफी हद तक सफल हुई है। “अगर हम सरकार की ओर से लंबित सेवा शुल्क को हटाते है तो हम अपनी खाता पुस्तिका में लाभ दिखा सकते हैं लेकिन चूकिं हमने इस रकम को अभी तक प्राप्त नहीं किया हमें ऐसा नहीं करना चाहिए”, अध्यक्ष ने कहा।
फिशकोफॉड के व्यापार को डाईर्वसिफाई करने के क्षेत्र में अध्यक्ष ने कहा कि, “संस्था ने राजस्थान सरकार से पट्टे पर सात से दस साल तक 20 हेक्टेयर की हैचरी ली है और उम्मीद है कि उत्पादन इस साल शुरू हो जाएगा और हमें उम्मीद है कि इससे हमें लाभ भी होगा”, उन्होंने कहा।
“वर्ष 2017-18 के दौरान, देश के 23 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 42 हजार मछुआरों को ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के माध्यम के तहत बीमा कवर प्रदान किया गया है। हम मत्स्यपालन के कल्याण के लिए हट और तालाब बीमा जैसी कुछ बीमा योजनाओं लाने की योजना बना रहे हैं”, डोरा ने कहा।
प्रसाद ने मांग कि की, “क्रेडिट और अन्य सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर मत्स्य क्रेडिट कार्ड जारी किया जाना चाहिए। मत्स्य क्षेत्र को भी कृषि क्षेत्र की तर्ज पर देखना चाहिए।”
क्रेडिट सहकारी ऋणदाता एनसीडीसी के शासी परिषद के एक सदस्य धनंजय सिंह ने भी इस अवसर पर अपने भाषण में कहा कि “चूंकि मत्स्यपालन क्षेत्र का जमीनी स्तर पर कम प्रभाव है और इसका संबंध पानी से है इसलिए इस क्षेत्र को नजरअंदाज किया जा रहा है और इसकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता है, उन्होंने इस सोच को बदलने पर जोर दिया।”
एनसीडीसी के उप-प्रबंध निदेशक डी एन ठाकुर ने कहा कि, “एनसीडीसी का मुख्य उद्देश्य भारत में सहकारी समितियों को मजबूत करना है। बात को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पास टाटा और बिड़ला के लिए कोई योजना नहीं है।”
फिशकोफॉड के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश लोनेरे और पूरे देश से लगभग 70 प्रतिनिधियों ने एजीएम में भाग लिया। फिशकोफॉड के उपाध्यक्ष रामदास पी सांधे ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।