लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ (एसएफएसी) की प्रबंध निदेशक श्रीमती नील कमल दरबारी के कहे गये शब्दों को काटते हुए कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि “एसएफएसी छोटी संस्था नहीं है यदि आप इसके द्वारा किये जा रहे काम पर गौर फरमायेंगे तो“। दरबारी ने सल्लजतावश कहा था कि एसएफएसी एक छोटी संस्था है।
एसएफएसी की रजत जयंती पर बोलते हुए अग्रवाल ने कहा कि एसएफएसी अधिकारियों को व्यापक ढंग से चीजों को देखना चाहिए। सचिव चाहते है कि यह देश के सभी एफपीओ की ये नोडल एजेंसी बने। वर्तमान में, एफपीओ को तीन एजेंसियों-एसएफएसी, नाबार्ड और राज्य सरकार द्वारा संचालित किया जा रहा है।
इस अवसर पर बोलते हुए कई वक्ताओं ने कहा कि एफपीओ का आइडिया एक नया विचार है और इस नाते शुरुआत में इसे सरकार द्वारा हैंडहोल्डिंग (मदद) की आवश्यकता है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने तो यहां तक कहा दिया कि जो एफपीओ, एसएफएसी द्वारा संचालित की जा रही है वे देश में सबसे अच्छे एफपीओ के रूप में उभर रही हैं। उनका साफ-साफ इशारा इस मामले में नाबार्ड की नाकामियों पर था।
कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने एसएफएसी की एमडी श्रीमती दरबारी से एक विज़न डॉक्यूमेंट तैयार करने को कहा कि कैसे देश की सभी एफपीओ को एसएफएसी की छत्रछाया में लाया जा सके। वह एसएफएसी की मदद से इन एफपीओ में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना चाहते थे। अग्रवाल ने कहा कि मंत्रालय के सामने तीन महीने के भीतर रिपोर्ट रखी जाए।
पाठकों को याद होगा कि छोटे, मध्यम और सीमांत किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत में विभिन्न संगठनों जैसे एसएफएसी, नाबार्ड और राज्य सरकारों द्वारा लगभग पांच हजार एफपीओ का गठन किया जा रहा है।अभी तक एसएफएसी ने 750 से अधिक एफपीओ का गठन किया है। लगभग 7.52 लाख छोटे, मध्यम और सीमांत किसानों को एफपीओ से जोड़ा गया है।
मुख्य रूप से एफपीओ को सफल बनाने के उद्देश्य से, एसएफएसी विभिन्न कार्यक्रमों जैसे कि पेशेवर प्रशिक्षण, पेशेवर हैंडहोल्डिंग, दिल्ली किसान मंडी, एफपीओ-क्रेता ई-इंटरफेस पोर्टल और बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने का कार्य करता है।
इसके अलावा, एफपीओ को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से इक्विटी ग्रांट, क्रेडिट गारंटी फंड योजना और वेंचर कैपिटल असिस्टेंस योजना को लागू किया जा रहा है।
पिछले चार वर्षों में 349 एफपीओ को 20 करोड़ रुपये की पूंजी सब्सिडी प्रदान की गई है और इसके अलावा 38 एफपीओ ने क्रेडिट गारंटी योजना योजना का लाभ उठाया है। वेंचर कैपिटल असिस्टेंस योजना के तहत, 850 परियोजनाओं को 2014 तक 264.32 करोड़ रुपये दिए गए थे, जो पिछले 4 वर्षों में 1426 परियोजनाओं में बढ़कर 404.45 करोड़ रुपये हो गए हैं।