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परेशान यूसीबी : दास ने एसएएफ प्रतिबंधों में छूट की मांग की

नेफकॉब के निदेशक और दिल्ली के अर्बन कॉपरेटिव बैंकों से जुड़े जाने-माने सहकारी नेता लक्ष्मी दास ने यूसीबी पर लागू एसएएफ (सुपरवाइजरी एक्टिव फ्रेमवर्क) की शर्तों में छूट की मांग की है। 

बता देे कि दास को फरवरी माह में नेफकॉब के होने वाले चुनाव में दिल्ली के अर्बन कॉपरेटिव बैंकों द्वारा नामित किया गया है। दास ने भारतीय सहकारिता के साथ अनौपचारिक बातचीत में कहा।

“हर साल 31 मार्च को आरबीआई हर यूसीबी के आर्थिक मापदंडों का जायजा लेती है और हम इसके निरीक्षण परिणामों का बेसब्री से इंतजार करते हैं।”, हम एसएएफ के खिलाफ नहीं है लेकिन इसके कई मानदंडों की वजह से यूसीबी अपने आप को वित्तीय संकट से उबरने में चिंतित रहती है।”

यूसीबी तब-तब एसएएफ के अंतर्गत आता जाता है जब इसका एनपीए 10 प्रतिशत से ऊपर जाता है और यदि बैंक का व्यापार और लाभ सराहनीय रूप से कम होता है तो एसएएफ को लागू करके आरबीआई बैंकों को इस तर्क पर डिपॉज़िट स्वीकार करने से रोकती है।

दास ने तर्क दिया कि अगर एक यूसीबी को जमा स्वीकार करने से वंचित किया जाता है या फिर ऋण देने से रोका जाता है तो बैंक कैसे अपने नुकसान की भरपाई करेगा? हम हमेशा सतर्क रहते हैं, लेकिन वित्तीय सकंट से उबरने के लिए हमें व्यापार करने की भी आवश्यकता है, उन्होंने कहा। उन्होंने आगे कहा कि, “मैं एसएएफ के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन केवल यही चाहता हूं कि इसके मानदंड़ो में संशोधन किया जाए।”

दास ने बीओएम के मुद्दे पर भी प्रकाश डाला जिस पर वर्तमान में कॉपरेटिव बैंकिंग हलकों में गर्मजोशी से बहस चल रही है। अगर कोई बैंक नई शाखाएं खोलने की अनुमति चाहता है तो ऐसी सूरत में आरबीआई ने यूसीबी से बीओएम का होना अनिवार्य कर दिया है। दास ने कहा कि जब पिता और पुत्र के बीच मतभेद हो जाता है तो आप कैसे उम्मीद करते हैं कि बीओएम और बीओडी घनिष्ठ समन्वय में काम करेंगे।

“मैं यूसीबी के दोहरे नियंत्रण का कड़ा विरोध करता हूं और एक नामित बीओएम को एक चुने हुए बीओडी पर हावी होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है”, लक्ष्मी दास ने रेखांकित किया।

दास यह भी चाहते थे कि भारतीय सहकारिता दिल्ली में बैंक के सदस्यों के एनसीआर प्रवास का मुद्दा संबंधित प्राधिकरणों के सामने लाए। इनमें से कुछ तो दिल्ली में रहते हैं लेकिन नोएडा में कारखानों का संचालन करते हैं। अब सहकारी कानून में एक इकाई के रूप में एनसीआर के लिए कोई प्रावधान नहीं है। दिल्ली के रजिस्ट्रार इस मामले में अपनी असहायता व्यक्त करते हैं और केंद्र सरकार को इस मामले को समझाने के हमारे प्रयासों अब तक कोई विफल रहे हैं, उन्होंने कहा।

एनसीआर बोर्ड या फिर केंद्र सरकार को मामले को देखना चाहिए और एक रास्ता खोजना चाहिए, उन्होंने कहा।
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