भले ही सहकारी आंदोलन में इफको एमडी डॉ यू एस अवस्थी के महत्वपूर्ण योगदान को भारत सरकार ने नजरअंदाज किया हो लेकिन प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी (बीएचयू) के पूराने छात्रों ने अपने तरीके से इसकी भरपाई की है। वाराणसी स्थित बीएचयू सभागार में आयोजित एक शानदार कार्यक्रम में सोमवार को अवस्थी को आईआईटी बीएचयू एल्यूमन्स पुरस्कार दिया गया और यह पुरस्कार अवस्थी की ओर से इफको के निदेशक ए के सिंह ने प्राप्त किया।
यह पुरस्कार रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा द्वारा दिया गया, जो स्वयं बीएचयू के पूर्व छात्र हैं। इस अवसर पर इफको के निदेशक ए के सिंह ने आभार व्यक्त किया। आईआईटी बीएचयू सभागार प्रतिभागियों से खचाखच भरा हुआ था।
इस मौके पर अवस्थी ने ट्वीट किया कि, “आज, @आईआईटी बीएचयू वाराणसी के एक समारोह में “आईआईटी बीएचयू एलुमनी ऑफ द सेंचुरी अवार्ड से सम्मानित किया गया। इफको के निदेशक ए के सिंह, ने मेरी ओर से पुरस्कार प्राप्त किया। यह पुरस्कार मनोज सिन्हा ने किया जो खुद बीएचयू के पूर्व छात्र है”।
हालांकि इफको के एमडी समारोह में शिरकत नहीं कर सके क्योंकि उन्हें इंडिया से बाहर कई कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए जाना था। सिंह ने कहा कि, “हमारे प्रोजेक्ट से संबंधित मामलों में उन्हें जॉर्डन जाना पड़ा; वह भले ही शरीर से उपस्थित नहीं हो सके लेकिन उनकी आत्मा यहीं है”, सिंह ने कहा जो इफको में सहकारी संबंध के प्रमुख है।
आयोजन समिति ग्लोबल एलुमनी मीट 2019 के अध्यक्ष नितिन मल्होत्रा द्वारा हस्ताक्षरित प्रशस्ति पत्र में लिखा गया है कि डॉ अवस्थी ने देश में कई उर्वरक परियोजनाओं को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इफको को आगे बढ़ाने और 17 से अधिक सहायक कंपनियों के निर्माण में उनका योगदान अहम है।
अवस्थी आईआईटी बीएचयू से ग्रेजुएट हैं जिसे उन्होंने साठ के दशक में पूरा किया था। “डॉ अवस्थी भारतीय कृषि में गहरी रुचि दिखाते रहे हैं जो कि उनके द्वारा शुरू किये गये कई विशेष कृषि परियोजनाओं से स्पष्ट है। उन्होंने जैव कीटनाशकों और जैव उर्वरकों के क्षेत्र में नवीन प्रयोग किये हैं”, प्रशस्ति पत्र में कहा गया।
इसके अलावा, प्रशस्ति पत्र में यह भी लिखा गया है कि अवस्थी ने नब्बे के दशक में संयुक्त राष्ट्र में रासायनिक उद्योग के दृष्टिकोण की दुनियाभर में प्रस्तुति की। पत्र में सामाजिक सेवा क्षेत्र में भी इफको एमडी द्वारा प्राप्त किये कई पुरस्कारों को भी सूचीबद्ध किया गया है।
आपको बता देे कि 1919 में स्थापित बीएचयू इस साल अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। इस श्रृंखला में दुनिया भर से पूर्व छात्रों को आमंत्रित किया गया। 10 और 11 फरवरी को दो दिवसीय कार्यक्रम का अनुभव पुराने समय को दोबारा याद करने जैसा था, ए के सिंह ने भारतीय सहकारिता से कहा।
इस श्रृंखला में पिछले महीने ही इसके एक पूर्व छात्र मनोज सिन्हा, राज्य मंत्री, रेलवे ने राजपथ, नई दिल्ली में आईआईटी बीएचयू पूर्व छात्र संघ शताब्दी वॉक का नेतृत्व किया था जिसमें कई लोगों ने भाग लिया था। विश्वविद्यालय के अतीत और वर्तमान के कई प्रमुख छात्रों ने सेंचुरी वॉक में भाग लिया।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) वाराणसी की स्थापना 1919 में बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी, यह 1968 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का प्रौद्योगिकी संस्थान बन गया था। इसे 2012 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के रूप में नामित किया गया था।
इसके कुछ पूर्व छात्रों में कृष्ण कुमार मोदी, चेयरमैन, मोदी ग्रुप, कृष्णकांत, भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति, अशोक सिंघल, पूर्व अध्यक्ष, विश्व हिंदू परिषद और राज्य मंत्री मनोज सिन्हा का नाम शामिल है।