“सहकार भारती” के संस्थापक लक्ष्मण राव इनामदार का नाम एक बार फिर सामने आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जिन्हें वे जीवन की सभी स्थितियों में याद करते रहे, जब तक वाकील साहब जीवित थे।
प्रधानमंत्री ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि, “जब भी मुझे कोई अच्छी या बुरी खबर मिलती तो मैं श्री इनामदार को इसके बारे में बताने के लिए जाता था।” मोदी ने कहा कि सबको एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत होती है जिसमें वह विश्वास कर सके और उसके साथ अपना सुख-दुख बांट सके। उन्होंने कहा कि केवल सावधानी यह होनी चाहिए कि उक्त व्यक्ति को इसके बारे में कुछ पता न हो। मोदी ने कहा, “मैं वकिल साहब का नाम ले रहा हूं क्योंकि वह अब हमारे बीच नहीं हैं। यदि वे जीवित होते तो मैं उनका नाम नहीं लेता”।
पाठकों को पता होगा कि एक प्रतिबद्ध सहकारी स्व. इनामदार का दृढ़ विश्वास था कि सहकारी मॉडल देश की गरीबी उन्मूलन में सक्षम है। उन्होंने 1978 में सहकार भारती की स्थापना की, जिसके अब करीब 40 वर्ष पूरे हो गए हैं।
सहकार भारती का पहला कार्यालय पुणे में खुला था जिसका उद्देश्य सहकारी आंदोलन के लाभों के बारे में जनता को बताना था। आज सहकार भारती देश भर के 400 जिलों में सक्रिय है।
सतीश मराठे को स्व. इनामदार के साथ काम करने का सौभाग्य मिला था। सहकारी आंदोलन के काम को आगे बढ़ाने में स्व. इनाम्दार के उत्साह को वे याद करते हैं। एनसीडीसी ने स्व. इनामदार के नाम पर गुड़गांव, हरियाणा में एक अत्याधुनिक सहकारी संस्थान की स्थापना की है।
गौरतलब है कि सहकार भारती ने 2017 में दिल्ली के विज्ञान भवन में “ लक्ष्मण राव इनामदार शताब्दी वर्ष” मनाया था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया।
यह पूछे जाने पर कि क्या उनके पास अभी भी कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे वह अपने उतार-चढाव के दिनों में याद करते हैं, मोदी ने सकारात्मक जवाब दिया लेकिन नाम बताने से इनकार कर दिया। मोदी ने बताया, “उनके नाम के खुलासे से उन्हें सचेत किया जा सकेगा और वह आपको निष्पक्ष तरीके से सलाह नहीं दे पायेंगे”।
मोदी ने सभी के जीवन में एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता पर भी बल दिया। जरूरी नहीं वह कोई शिक्षाविद या विद्वान व्यक्ति हो, बल्कि एक ऐसा व्यक्ति हो जो आपको जानता हो और आपको निष्पक्ष रूप से निर्भीक सलाह दे सके, मोदी ने रेखांकित किया।