सभी राज्यों के जिला सहकारी बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहत की सांस ली है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही के एक फैसला में जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) को अपनी बैलेंस शीट में पुराने करेंसी नोटों की रकम दिखाने की अनुमति दी है।
इस संबंध में अदालत ने आरबीआई और नाबार्ड से चार सप्ताह के भीतर अपना लिखित बयान देने को कहा है।
मामले में अगली सुनवाई जुलाई महीने में होगी।
पाठकों को याद होगा कि नाबार्ड ने महाराष्ट्र के जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को पुराने नोटों को नष्ट करने और अपने रिकार्ड में हानि दिखाने के लिए एक अधिसूचना जारी की थी।
नाबार्ड के पत्र के बाद, डीसीसीबी ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
माननीय न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और माननीय न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की थी।
उल्लेखनीय है कि एक अनुमान के अनुसार, पुणे, सांगली, वर्धा, नागपुर, अहमदनगर, अमरावती, कोल्हापुर और नासिक सहित आठ जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के पास विमुद्रीकरण के बाद 110 करोड़ रुपये से अधिक के पुराने नोट रखे हैं।
बता दें कि 8 नवंबर, 2016 को केंद्र सरकार द्वारा विमुद्रीकरण आदेश जारी होने के पहले डीसीसीबी के पास पुराने करेंसी नोट पड़े थे। कुछ दिनों के बाद, आर.बी.आई ने केवाईसी का अनुपालन न करने का हवाला देते हुए डीसीसीबी को पुराने मुद्रा नोट को विनिमय या स्वीकार करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।