हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण के बारे में इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट दी है कि केरल के मछुआरे निजी कर्जदाताओं से ऋण लेते हैं जो न केवल उन्हें बेफकुफ बना देते हैं बल्कि उन्हें ऋण के जाल में भी फंसा देते हैं।
ऐसे ऋणदाता की ब्याज दरें 160 फीसदी तक हैं।
सर्वेक्षण के मुताबिक मछुआरे सहकारी बैंकों सहित ऋणों के कई स्रोतों का उपयोग करते हैं लेकिन ज्यादातर निजी स्रोतों की ओर रुख करते हैं क्योंकि वह उन्हें बहुत सरल लगता हैं।
सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि सहकारी संस्थाओं के होने के बावजूद ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं जिसमें ऋण के लिए अनौपचारिक स्रोतों का उपयोग करने के लिए मछुआरों को बाध्य होना पड़ता है।