मत्स्य सहकारी संस्थाओं की शीर्ष संस्था फिशकोफॉड के प्रबंध निदेशक बी.के. मिश्रा ने हाल ही में नई दिल्ली में नेशनल सेंटर फॉर कोऑपरेटिव एजुकेशन (एनसीसीई) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय नेतृत्व विकास कार्यक्रम का उद्घाटन किया था।
इस अवसर पर मिश्रा ने कहा कि, “देश भर में 20,000 मत्स्य सहकारी समितियां “नीली क्रांति” की अगुवाई करती हैं। यह समितियां 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 6 लाख मछुआरों को आजीविका प्रदान कर रही हैं। फिशकॉफेड के एमडी ने घोषित किया कि ऐसी समितियों की उपस्थिती केवल तटीय क्षेत्रों तक ही नहीं है। यह दर्शाता है कि दृढ़ निश्चय से भौगोलिक और जलवायु की सीमाएं भी खुल जाती है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तेलंगाना के 42 से अधिक मत्स्य सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के शासी निकाय सदस्य जनार्दन गंगापुत्र भी प्रतिभागियों में से एक थे।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सहकारी विचारधारा, प्रबंधन, मछुआरों के लाभ के लिए विभिन्न योजनाओं के साथ-साथ अपने नेतृत्व कौशल को उन्नत करने के लिए प्रतिभागियों को उन्मुख करना था।
एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एन सत्यनारायण ने समापन समारोह के दौरान कहा कि भारत में खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में मत्स्य सहकारी समितियों द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। उन्होंने बड़ी संख्या में ग्रामीण आबादी के लिए इन सहकारी समितियों द्वारा प्रदान किए जा रहे स्वरोजगार के अवसरों की सराहना की और मत्स्य पालन सहकारी समितियों के मार्गदर्शन और विकास में “फिशकोफॉड” के प्रयासों की भी सराहना की।
एनसीसीई (एनसीयूआई), “फिशकोफेड” सहित अतिथि संकाय सदस्यों के अलावा अन्य विशेषज्ञों ने सहकारी सिद्धांतों और मूल्यों, सहकारी प्रबंधन, कैशलेस लेनदेन के तरीके, मछली पकड़ने में बीमा और नवाचार जैसे विषयों पर विभिन्न सत्र संचालित किए। चूंकि अधिकांश प्रतिभागियों ने पहली बार प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया था, इसलिए उन्हें दिल्ली के कुछ पर्यटन स्थलों का भी दौरा कराया गया था।
कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों ने महसूस किया कि यद्यपि वे लंबे समय से सहकारी समितियों से जुड़े थे लेकिन सहकारिता की विभिन्न अवधारणाओं और विचारों से अनभिज्ञ थे और ऐसे कार्यक्रमों के संचालन के लिए एनसीसीई और फिशकोफेड के आभारी थे। इस कार्यक्रम से उन्हें सक्षम बनने, अपनी मत्स्य सहकारी समितियों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने और इस प्रक्रिया में अपने सदस्यों को सशक्त बनाने में सहायता मिलेगी।
श्रीमती संध्या कपूर, उप-निदेशक ने कार्यक्रम को सफलतापूर्वक समन्वित किया।