नेपाल राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीएफ) की उपाध्यक्ष और इंटरनेशनल को-ऑपरेटिव एलाइंस (आईसीए) की बोर्ड की सदस्य ओम देवी मल्ला की अध्यक्षता में चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने औपचारिक शिक्षा प्रणाली में सहकारी पाठ्यक्रम के विकास का अध्ययन करने के लिये हाल ही में भारत का दौरा किया।
एनसीयूआई द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ओम देवी मल्ला के साथ त्रिभुवन विश्वविद्यालय के प्रबंधन संकाय के प्रोफेसर और डीन डॉ. दिलराज शर्मा, श्री दीपक खड़का- भूमि प्रबंधन, सहकारिता और गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के अपर सचिव और खुलनाथ धमाला पाठ्यक्रम अधिकारी थे।
यात्रा के पहले दिन, एनसीएफ टीम ने इंटरनेशनल को-ऑपरेटिव एलाइंस एशिया और पैसिफिक टीम के साथ मिलकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सहकारी पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी प्राप्त की। आईसीए-एपी के क्षेत्रीय निदेशक बालू अय्यर ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में विभिन्न देशों द्वारा संचालित औपचारिक सहकारी शिक्षा प्रणाली के कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए।
दूसरे दिन यानि 21 मई 2019 को प्रतिनिधिमंडल और एनसीयूआई के अधिकारियों की मौजदूगी में एनसीयूआई में एक बैठक सम्पन्न हुई जिसमें एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी एन. सत्य नारायण ने नेपाल में स्कूलों/कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सहकारी पाठ्यक्रम तैयार करने को उचित प्राथमिकता देने के लिए नेपाली प्रतिनिधिमंडल के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि इससे नेपाल में सहकारिता आंदोलन के काम-काज में युवाओं को सक्रिय रूप से शामिल किया जा सकेगा।
ओम देवी मल्ला ने खुशी व्यक्त की कि एनसीयूआई और मैसूर विश्वविद्यालय नेपाल में औपचारिक शिक्षा प्रणाली में सहकारी पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए एनसीएफ को अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नेपाल सरकार ने सहकारी समितियों को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के तीन स्तंभों में से एक माना है और राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में सहकारी समितियों के 25% हिस्से का लक्ष्य रखा है।
डॉ. दिलराज शर्मा ने भारत में अध्ययन यात्रा के उद्देश्यों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि त्रिभुवन विश्वविद्यालय में बीबीए और एमबीए के पाठ्यक्रमों में संक्षिप्त रूप से सहकारी प्रबंधन की अवधारणाओं का उल्लेख किया गया है, जिसमें वर्तमान में 4 लाख छात्र नामांकित हैं।
शर्मा ने सरकार के सक्रिय समर्थन से विश्वविद्यालय के साथ-साथ नेपाल के अन्य शैक्षणिक संस्थानों में एक वर्षीय सहकारी प्रबंधन पाठ्यक्रम शुरू करने की अपनी इच्छा व्यक्त की। हालाँकि, उन्होंने दो प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की, यथा – प्रशिक्षित फैकल्टी और जॉब प्लेसमेंट की कमी जो प्रमुख चुनौतियां हैं।
एनसीयूआई के निदेशक (अंतर्राष्ट्रीय संबंध) रितेश डे ने सहकारिता विकास के क्षेत्र में युवाओं और महिलाओं के लिए विशिष्ट संदर्भ के साथ भारतीय सहकारी आंदोलन और एनसीयूआई की भूमिका पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी।
एनसीयूआई के अधिकारी संजय कुमार वर्मा ने स्कूली शिक्षा पर विशेष जोर देने और इस प्रयास में एनसीयूआई की सक्रिय भूमिका के साथ भारत में औपचारिक शिक्षा प्रणाली में सहकारी समितियों के पाठ्यक्रम विकास की वर्तमान स्थिति पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी।
संध्या कपूर- उप निदेशक और एनसीसीई संकाय ने एनसीसीई द्वारा संचालित डिप्लोमा कार्यक्रम का विवरण साझा किया, और सुझाव दिया कि हर साल एनसीसीई में आयोजित संकाय विकास कार्यक्रम में त्रिभुवन विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों की सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए। एनसीयूआई के कार्यकारी निदेशक (अंतर्राष्ट्रीय संबंध)- डॉ. के.एन. सिन्हा ने इस अवसर पर धन्यवाद ज्ञापन किया।
एनसीयूआई ने मैसूर विश्वविद्यालय के साथ मिलकर नेपाली प्रतिनिधिमंडल की मैसूर विश्वविद्यालय और बैंगलोर के अन्य शैक्षणिक संस्थानों, जहां सहकारी प्रबंधन औपचारिक शिक्षा के पाठ्यक्रम का एक हिस्सा है, में अध्ययन यात्रा की व्यवस्था की.
नेपाली टीम ने कर्नाटक राज्य ग्रामीण विकास और पंचायत राज विश्वविद्यालय, गडग का भी दौरा किया, जहां प्रतिनिधिमंडल को सहकारी प्रबंधन में एम.कॉम और एक वर्ष के डिप्लोमा पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी दी गई।
कर्नाटक सौहार्द फेडरल कोऑपरेटिव में आयोजित एक अन्य बैठक में नेपाली प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को सहकारी प्रबंधन में डिप्लोमा कार्यक्रम के सफल संचालन के बारे में जानकारी दी गई।