दावे और प्रति-दावे के बीच, बिहार विपणन सहकारी संस्था बिस्कोमान के अगले अध्यक्ष के रूप में सुनील कुमार सिंह का पुनः: चयन होना निश्चित हो गया है। जैसा कि पहले इन स्तंभों में भविष्यवाणी की गई थी, सभी निदेशक निर्विरोध चुने जाएंगे।
बिस्कोमान के बोर्ड में 21 निदेशक होते हैं, जिनमें से 17 का निर्वाचन होता है और आमतौर पर दो मनोनित किए जाते हैं। नए बोर्ड के लिए 9 जून को चुनाव होना है जिसमें नए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होगा। एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, “यह अब केवल एक औपचारिकता होगी”।
चुने गए 17 निदशकों में से पांच नए हैं। इनमें हीरा प्रसाद सिंह, धमदाहा व्यापार मंडल सहकारी समिति; पार्थ कुमार यादव, छपरा व्यापार मंडल सहकारी समिति; रमेश चंद्र चौबे, प्रगतीशील कृष्ण सेवा स्वलांबी; विनय कुमार, गुरुवा व्यापार मंडल सहकारी समिति और विष्णुदेव राव, हाजीपुर व्यापार मंडल सहकारी समिति शामिल हैं।
बिस्कोमान चुनाव बिना विवादों के सम्पन्न नहीं हुआ। एक वरिष्ठ सहकारी नेता राम बाबू सिंह ने चुनाव से बाहर किये जाने के चलते केंद्रीय रजिस्ट्रार का दरवाजा खटखटाया।
वहीं रमेश चौबे का निदेशक के रूप में चुना जाना चर्चा का विषय बना हुआ है। चौबे को हाल ही में बिहार स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष पद से हटाया गया है। उनके विरोधियों ने बिहार सहकारिता अधिनियम का उद्हारण देते हुए कहा कि चैबे, बिस्कोमान के बोर्ड में निदेशक बनने के योग्य नहीं हैं। हालांकि, सुनील कुमार सिंह के एक लंबे समय के सहयोगी, चौबे को पहली बार बिस्कोमान बोर्ड में शामिल हो रहे हैं।
इसी तरह, गोपाल गिरी के खिलाफ भी शिकायतें मिली हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने निवास प्रमाण-पत्र में हेरा-फेरी की है। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि वह एक पैक्स का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो उनके गांव में स्थित ही नहीं है।
उल्लेखनीय है कि जिला और सत्र न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) पी. एन. सिंह चुनाव प्रक्रिया की देखरेख कर रहे हैं। नामांकन पत्रों की जांच 4 जून को हुई थी और 6 जून को नाम वापसी की तारीख थी। बिस्कोमान के बिहार और झारखंड के जिलों के 210 प्रतिनिधि हैं। इस बार 50% से अधिक प्रतिनिधि नए हैं।