मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ऐसे सहकारी बैंकों में आरक्षण पर विचार कर रही है, जिनमें सरकारी पूंजी नहीं है। यह मामला जिला सहकारी बैंक यवतमाल का है।
राज्य विधान परिषद में बोलते हुए महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्र कांत पाटिल ने सदन को आश्वस्त किया कि सरकार ऐसे सहकारी निकायों में आरक्षण लागू करने के विचार के बारे में सोच रही है जहां राज्य सरकार की कोई शेयर पूंजी नहीं है।
कई सहकरी नेताओं ने ‘भारतीयसहकारिता.कॉम’ से बात करते हुए बताया कि सहकारी समितियों को सहयोग की भावना से चलाया जाता है और इसमें जाति को शामिल करने के किसी भी प्रयास से उसकी भावना खत्म हो जाती है।
हालांकि, सहकरी मंत्री सुभाष देशमुख ने पाटिल की बात का समर्थन किया, जिन्होंने कहा कि जिला सहकारी बैंक नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नबार्ड) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शासित हैं।
राजस्व मंत्री चंद्र कांत पाटिल ने कहा कि इस संबंध में एक सर्वदलीय बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी। पाटिल जिला सहकारी बैंक यवतमाल में भर्ती पर सदन के सदस्यों में से एक द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें सभी उम्मीदवारों को सामण्य श्रेणी से चुना गया था।
महाराष्ट्र आरक्षण अधिनियम, 2004 के अनुसार, उन डीसीसीबी में आरक्षण नहीं हो सकता है, जहां सरकार की कोई अंश पूंजी नहीं है।पाटिल ने मामले में यथास्थिति बदलने की बात कही।
उल्लेखनीय है कि पंचायत और अन्य स्थानीय निकायों की तर्ज पर पैक्स में आरक्षण की वकालत करने वाले बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी की घोषणा के खिलाफ बिहार के सहकारी नेता एकजुट हो गए थे। उनके गुस्से को भांपते हुए नीतीश सरकार ने इस विचार को छोड़ दिया था।
महाराष्ट्र के मामले में भी, मंत्री के बयान के बाद सहकारी नेता उत्तेजित हैं।