ओडिशा टी.वी. की रिपोर्ट के मुताबिक आरटीआई कार्यकर्ताओं ने ओडिशा लोकायुक्त से ओडिशा सहकारी बैंक में 600 करोड़ रुपये के कथित घोटाले की जांच करने का आग्रह किया है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि नाबार्ड ने पिछले 5 वर्षों में फसली ऋण ब्याज राहत दावों में विसंगतियां पाईं है।
ओडिशा स्टेट कोऑपरेटिव बैंक ने दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया और 2016-17 में 168 करोड़ रुपये के अतिरिक्त ब्याज राहत का दावा किया, जो बैंक को भारत सरकार और ओडिशा सरकार से नाबार्ड के माध्यम से मिला था।
आरटीआई कार्यकर्ता प्रधान के हवाले से कहा गया है कि घोर वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं और लोकायुक्त के संज्ञान में ओएससीबी में 600 करोड़ रुपये का घोटाला लाया गया है।
हालांकि, पूर्व सहकारिता मंत्री दामोदर राउत का कहना है कि ओएससीबी द्वारा कुल घोटाला 800 करोड़ रुपये से कम का नहीं हो सकता है, लेकिन जांच की उनकी मांग को नजरअंदाज किया गया।