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क्रेडिट कॉप पर गडकरी और तोमर की बैठक; जल्द ही निकलेगा समाधान

सोमवार को मल्टी-स्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटीज़ के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर उन्हें क्रेडिट कॉप के समक्ष चुनौतियों के बारे में अवगत कराया। प्रतिनिधियों ने महाराष्ट्र और कर्नाटक की क्रेडिट सहकारी संस्थाओं के संचालन की समस्याओं से जुड़ा एक प्रस्ताव भी सौंपा।

महाराष्ट्र के सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख भी प्रतिनिधिमंडल के साथ मौजूद थे। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के संसद कार्यालय में बैठक हुई और करीब दो घंटे तक चली। बैठक में केंद्रीय रजिस्ट्रार अभिलाष लिखी भी उपस्थित थे।

वेंकटेश क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष अभिनाथ शिंदे और बैठक में शामिल प्रतिभागियों में से एक ने फोन पर इस संवाददाता से बात करते हुए बताया कि, “हमने केंद्रीय मंत्रियों के साथ मल्टी स्टेट क्रेडिट कॉप से संबंधित कई मुद्दों पर चर्चा की और उन्हें एक प्रस्ताव सौंपा। बैठक में उपस्थित मंत्रियों ने हमारी बात ध्यानपूर्वक सुनी और केंद्रीय रजिस्ट्रार लिखी को निर्देश दिये कि वे जल्द से जल्द मुद्दों को हल करें”।

प्रतिनिधियों की मांग हैं कि, “जब समितियों का मूल रूप से गठन हुआ था, तब 1000, 2000, या 5000 रुपये की नियमित सदस्यता थी। उस समय 50 और 100 रुपये की नाममात्र सदस्यता का मानदंड था। इसलिए जमीनी स्तर का कोई भी व्यक्ति समिति का सदस्य बन सकता था और क्रेडिट सोसाइटी की सेवाओं का लाभ उठा सकता था। लेकिन आज, नाममात्र शुल्क वाली सदस्यता की व्यवस्था को हटा दिया गया है। शेयर पूंजी के बारे में सदस्यता शुल्क में बदलाव की जरूरत है”।

“अब सामान्य लोगों के लिए समितियों का सदस्य बनाना मुश्किल हो गया है क्योंकि नियमित सदस्यों की सदस्यता शुल्क अधिक है और सदस्य स्वर्ण ऋण, सूक्ष्म वित्त, बचत खाता खोलने जैसी सेवाओं को 10,000 या 15,000 रुपये से पाना चाहते हैं”।

प्रतिनिधिमंडल ने 100 रुपये सदस्यता शुल्क की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया ताकि कोई भी आसानी से सदस्य बन सके और इस तरह सहकारी समितियों की सदस्यता में इजाफा होगा।

क्रेडिट कॉप को शाखाएं खोलने में भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। यह संस्थाएं लोगों की सेवा के लिए पूर्ण समर्पण के साथ काम कर रही हैं लेकिन शाखाएं खोलने का लाइसेंस नहीं मिल रहा है।

समितियों को बदलती परिस्थितियों के अनुसार अपने उपनियमों में संशोधन करने की आवश्यकता है।

शिंदे ने आगे कहा, “हमें उम्मीद है कि मंत्रालय हमारी मांगों पर खरा उतरेगा और बहु-राज्य सहकारी समितियों के सुचारू कामकाज के लिए कृषि विभाग को आवश्यक दिशा-निर्देश देगा”।

इस अवसर पर शिंदे के अलावा,  फेडरेशन ऑफ मल्टिस्ट्रेट कोऑपरेटिव सोसाइटीज, पुणे, सुरेश वाबले, शिवाजीराव कपाले, निदेशक, सीए प्रवीण प्रजापति विशेषज्ञ निदेशक, एडवोकेट, कानूनी सलाहकार और अन्य लोग उपस्थित थे।

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