भारी वित्तीय संकट से जूझ रहे पुणे स्थित रुपी को-ऑप बैंक की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही है क्योंकि 30 अगस्त को आरबीआई ने एक बार फिर से तीन महीने के लिए इसके बैंकिंग लाइसेंस में विस्तार किया है। हालांकि महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के साथ इसका विलय अभी तक अंतिम रूप नहीं ले सका है।
आरबीआई ने एक विज्ञप्ति में कहा, “‘रुपी कोऑपरेटिव बैंक’ के 31 अगस्त, 2019 तक विस्तारित समीक्षा के अधीन दिशा- निर्देश, दिनांक 28 अगस्त,2019 के डाइरेक्टिव के तहत, 1 सितंबर से 30 नवंबर, 2019 तक तीन महीने की अवधि के लिए जारी रहेगा।”
ई मेल के अनुसार, “संदर्भ के तहत निर्देशों के अन्य सभी नियम और शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी”।
पुणे स्थित “रुपी को-ऑपरेटिव बैंक” को 22 फरवरी, 2013 को निर्देश के तहत रखा गया था। निर्देशों की वैधता समय-समय पर बढ़ाई गई थी। अंतिम निर्देश 27 मई, 2019 को जारी किया गया था जो 31 अगस्त, 2019 तक वैध था।
आरबीआई ने आदेश दिया है कि 28 अगस्त, 2019 के निर्देश की एक प्रति बैंक परिसर में उक्त विस्तार को जनता के अवलोकनार्थ प्रदर्शित किया जाये।
आरबीआई ने स्पष्ट किया कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पूर्वोक्त विस्तार या संशोधन का अर्थ यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि भारतीय रिज़र्व बैंक उक्त बैंक की वित्तीय स्थिति में व्यापक सुधार से संतुष्ट है।
इससे पहले, जैसा कि हमने बताया था कि “रुपी बैंक जमाकर्ता फोरम” ने महाराष्ट्र सरकार से एमएससी बैंक के साथ रूपी बैंक के विलय की प्रक्रिया को आगामी अक्टूबर में संभावित राज्य विधानसभा चुनावों से पहले पूरा करने की मांग की थी।
ध्यान दिया जाना चाहिए कि एमएससी बैंक ने पहले ही यथोचित प्रयास किया है। एमएससी बैंक के शीर्ष आधिकारिक सूत्रों ने कहा, “अभी तक हमें आरबीआई से “रुपी बैंक” के साथ विलय के लिए मंजूरी नहीं मिली है और मामला अभी भी विचाराधीन है”।
फोरम का नेतृत्व कर रहे श्रीरंग परसापटकी ने कहा , “हम राज्य सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि बीमार बैंक के एमएससी बैंक के साथ विलय की प्रक्रिया को पूरा किया जाए। हमने कई मौकों पर सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की है”।
इस बीच, संकटग्रस्त यूसीबी की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 के लिए वैधानिक लेखा परीक्षा हाल ही में पूरी हुई और कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं हुई। प्रशासक मंडल (बोआ) ने भी भारतीय रिजर्व बैंक से उक्त बैंक का वार्षिक निरीक्षण जल्द से जल्द कराने का अनुरोध किया है।
विज्ञप्ति के अनुसार, रुपी बैंक ने आरबीआई की हार्डशिप स्कीम के तहत 83,777 जरूरतमंद जमाकर्ताओं को 332 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। बैंक का जमा 1,297 करोड़ रुपये है।
रुपी बैंक से 6 लाख से अधिक जमाकर्ता जुड़े हैं।